भेड़िए के आतंक पर प्रशासन के दावे बेमानी, कई गांव अंधेरे में डूबे पाए गए।
लखनऊ 4 सितम्बर:(डेस्क)उत्तर प्रदेश के औराही गांव में भेड़िए के आतंक से ग्रामीण बेहद परेशान हैं। तीन मार्च को पहली बार भेड़िया ने हमला किया था, जिसके बाद से गांव में सुरक्षा के लिए बड़े-बड़े दावे किए गए थे। अधिकारियों ने बिजली, सौर ऊर्जा, दरवाजे और सुरक्षा के प्रबंध करने का वादा किया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
प्रशासन की लापरवाही
गांव के निवासी नीरज कुमार, अवधेश, राहुल निषाद और प्रवीण ने अमर उजाला टीम को बताया कि भेड़िए के हमले के बाद से गांव में बड़े वाहनों का रेला उमड़ा था, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिली। अगस्त महीने में हुई बारिश के बाद रास्ते पर पानी भर गया है, जिससे अधिकारी भी गांव आने से कतराने लगे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि करीब 450 लोग भगवान भरोसे हैं, और रातभर जागकर टॉर्च और लाठी के सहारे अपने परिवारों की सुरक्षा कर रहे हैं।
सुरक्षा की कमी
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में सुरक्षा के लिए कोई टीम नहीं आती। वर्मापुरवा में गांव के बाहर रखवाली कर रहे ग्रामीणों ने कहा कि आर्थिक तंगी के चलते कई घरों में दरवाजे भी नहीं लगे हैं। उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि यदि डीएम मैडम रास्ता सही करवा दें, तो शायद उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
सिकंदरपुर का दौरा
सिकंदरपुर गांव में जब अमर उजाला की टीम पहुंची, तो वहां सन्नाटा छाया हुआ था। सड़क किनारे दो पीएसी जवान तैनात मिले, जबकि गांव की रखवाली कर रहे ग्रामीण हाथों में लाठी-डंडा लेकर टहल रहे थे। सिकंदरपुर से औराही जाने वाले मार्ग पर शाम 7:20 बजे तक सन्नाटा था। औराही पहुंचने तक केवल दो बोलेरो ही नजर आईं, और रास्ते में मिले एक चौराहे पर सभी दुकानें बंद थीं। लोग अपने-अपने घरों में कैद नजर आए।
ग्रामीणों की चिंताएं
ग्रामीणों ने बताया कि भेड़िए के आतंक के कारण वे रातभर जागकर अपनी सुरक्षा कर रहे हैं। प्रशासन द्वारा किए गए वादे अब तक अधूरे हैं, और वे खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। भेड़िए के हमले से उत्पन्न डर ने उनके जीवन को प्रभावित किया है, और वे अब सामान्य दिनचर्या भी नहीं अपना पा रहे हैं।