करबन नदी की पटरी कटी, 50 किसानों की 300 बीघे फसल जलमग्न
अलीगढ़ 15 सितंबर : (डेस्क) करबन नदी की पटरी पहले से कटी थी, उसको आज तक बंद नहीं करवाया गया था। बारिश के पानी के दबाव में पटरी और ज्यादा कट गई।
करबन नदी की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। पहले से कटी हुई पटरी अब बारिश के पानी के दबाव में और अधिक कट गई है। यह नदी, जो कभी 100 से अधिक गांवों के किसानों के लिए सिंचाई का मुख्य स्रोत थी, अब एक नाले में तब्दील हो चुकी है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि नदी का पानी अब गंदा हो गया है और इसका अस्तित्व खतरे में है.
किसान यूनियन के नेताओं ने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि नदी के आसपास के क्षेत्रों में जल स्तर गिर रहा है, जिससे कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। पहले जहां गंगा जल की आपूर्ति होती थी, अब वहां केवल गंदगी और प्रदूषण का साम्राज्य है। यह स्थिति न केवल किसानों के लिए, बल्कि स्थानीय पारिस्थितिकी के लिए भी खतरनाक है.
प्रशासन ने अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। नदी के किनारे पर किए गए निर्माण कार्यों ने नदी की धारा को प्रभावित किया है, जिससे जल निकासी में बाधा उत्पन्न हो रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो नदी का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा.
इस संकट का हल निकालने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम का गठन किया गया है, जो नदी के पुनर्जीवन के लिए संभावित उपायों पर विचार करेगी। हालांकि, स्थानीय निवासियों को अभी भी इस प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया है, जिससे उनकी चिंताएं और बढ़ गई हैं.
कुल मिलाकर, करबन नदी की स्थिति न केवल एक पर्यावरणीय समस्या है, बल्कि यह स्थानीय समुदायों के लिए भी एक गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है। यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो यह नदी और इसके आसपास के क्षेत्रों का भविष्य अंधकारमय हो सकता है.