बांकेबिहारी मंदिर में स्वामी हरिदास बधाई उत्सव हुआ शुरू, इस दिन होगा मुख्य आयोजन

in Agra Mandal11 days ago

आगरा 5 सितंबर : (डेस्क) वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर में स्वामी हरिदास बधाई उत्सव आज से शुरू हो गया है। श्रावणी पर्व पर आयोजित इस उत्सव का मुख्य आयोजन 11 सितंबर को होगा।

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श्रीबांकेबिहारीजी मंदिर में श्रीस्वामी हरिदास प्राकट्यउत्सव का शुभारंभ
वृंदावन के प्रसिद्ध श्रीबांकेबिहारीजी महाराज मंदिर में परंपरानुसार बृहस्पतिवार को साम श्रावणी पर्व पर बधाई उत्सव का शुभारंभ हो गया। इसी के साथ 487 वें श्रीस्वामी हरिदास प्राकट्यउत्सव का औपचारिक शुभारंभ भी हो गया। मुख्य आयोजन 11 सितंबर को होगा।

श्रीबांकेबिहारीजी मंदिर का इतिहास
श्रीबांकेबिहारीजी मंदिर वृंदावन में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। इस मंदिर की स्थापना स्वामी हरिदास जी ने की थी, जो प्राचीन काल के मशहूर गायक तानसेन के गुरु थे। स्वामी हरिदास जी भगवान श्री कृष्ण के अनन्य भक्त थे और वृंदावन में रहकर श्रीकृष्ण की भक्ति किया करते थे। एक दिन वृंदावन के लोगों ने स्वामी हरिदास जी से कहा कि वे भी राधा कृष्ण के दर्शन करना चाहते हैं। तब हरिदास जी ने राधा-कृष्ण की अराधना कर के लोगों की बात मानी और जब ध्यान व पूजन के बाद खोले तो इस मूर्ति को अपने समक्ष पाया था। भगवान श्रीकृष्ण को बांके बिहारी नाम स्वामी हरिदास जी ने दिया था।

श्रीस्वामी हरिदास प्राकट्यउत्सव का महत्व
श्रीस्वामी हरिदास जी की जयंती को श्रीस्वामी हरिदास प्राकट्यउत्सव के नाम से मनाया जाता है। यह उत्सव भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि स्वामी हरिदास जी ने श्रीकृष्ण भक्ति के क्षेत्र में अपना अमूल्य योगदान दिया था। वे भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त थे और उनकी भक्ति से प्रभावित होकर स्वयं राधा-कृष्ण उन्हें दर्शन दिया करते थे। इस उत्सव के दौरान भक्त स्वामी हरिदास जी की जीवनशैली और उनकी भक्ति से प्रेरणा लेते हैं।

बांके बिहारी मंदिर में पर्दा क्यों लगाया जाता है?
बांके बिहारी मंदिर में ठाकुर जी के आगे बार-बार पर्दा लगाया जाता है। इसके पीछे की एक रोचक कथा है। एक बार एक भक्तिमती ने अपने पति को बहुत अनुनय-विनय के पश्चात वृंदावन जाने के लिए राजी किया। दोनों वृंदावन आकर श्रीबांकेबिहारी जी के दर्शन करने लगे। कुछ दिन श्रीबिहारी जी के दर्शन करने के पश्चात उसके पति ने जब स्वगृह वापस लौटने कि चेष्टा की तो भक्तिमति ने श्रीबिहारी जी दर्शन लाभ से वंचित होना पड़ेगा, ऐसा सोचकर वो रोने लगी।

संसार बंधन के लिए स्वगृह जायेंगे, इसलिए वो श्रीबिहारी जी के निकट रोते-रोते प्रार्थना करने लगी कि- 'हे प्रभु में घर जा रही हुँ, किन्तु तुम चिरकाल मेरे ही पास निवास करना'। इस प्रार्थना के पश्चात वे दोनों रेलवे स्टेशन की ओर घोड़ागाड़ी में बैठकर चल दिये।

उस समय श्रीबांकेबिहारी जी एक गोप बालक का रूप धारण कर घोड़ागाड़ी के पीछे आकर उनको साथ लेकर ले जाने के लिये भक्तिमति से प्रार्थना करने लगे। इधर पुजारी ने मंदिर में ठाकुर जी को न देखकर उन्होंने भक्तिमति के प्रेमयुक्त घटना को जान लिया एवं तत्काल वे घोड़ा गाड़ी के पीछे दौड़े। गाड़ी में बालक रूपी श्रीबांकेबिहारी जी से प्रार्थना करने लगे। दोनों में ऐसा वार्तालाप चलते समय वो बालक उनके मध्य से गायब हो गया। तब पुजारी जी मन्दिर लौटकर पुन श्रीबांकेबिहारी जी के दर्शन करने लगे। इस घटना के बाद से मंदिर में ठाकुर जी के आगे बार-बार पर्दा लगाया जाता है, ताकि भक्तों को उनका दर्शन न हो और वे भी उनकी कृपा से वंचित न रह जाएं।

श्रीबांकेबिहारीजी मंदिर में श्रद्धालुओं का आगमन
श्रीबांकेबिहारीजी मंदिर भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यहां पर दूर-दूर से भक्त आकर बांके बिहारी जी के दर्शन करके उनका आशीर्वाद लेते हैं। मंदिर में बार-बार पर्दा लगाने की परंपरा के कारण भक्तों को उनका दर्शन नहीं होता, लेकिन वे फिर भी श्रद्धा और विश्वास के साथ यहां आते हैं और अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

इस प्रकार श्रीबांकेबिहारीजी मंदिर वृंदावन का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहां श्रद्धालु भक्त अपनी आस्था और विश्वास को समर्पित करते हैं। श्रीस्वामी हरिदास प्राकट्यउत्सव के अवसर पर मंदिर में विशेष आयोजन किए जाते हैं और भक्तों में उत्साह का माहौल होता है।