राधा-कृष्ण के विवाह का साक्षी है भांडीरवन, सोमवती अमावस्या पर उमड़ी भीड़; ये है मान्यता
आगरा 2 सितंबर : (डेस्क) राधा-कृष्ण के विवाह के साक्षी भांडीरवन में सोमवती अमावस्या पर पर्वी मेले का आयोजन हो रहा है। इस दौरान यहां भारी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। आइये जानतें हैं क्या है यहां की मान्यता...
भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं में से एक महत्वपूर्ण घटना भांडीरवन की है, जहां उन्होंने गौचारण करते समय बछासुर नामक राक्षस का वध किया। यह राक्षस कंस द्वारा भेजा गया था, जो बछड़े के रूप में आया। श्री कृष्ण ने इस राक्षस का वध किया, लेकिन इसके बाद विद्वान पंडितों ने उन्हें बताया कि उन्होंने बछड़े का वध किया है, जिससे उन्हें गौ हत्या का पाप लगेगा। इस पाप से मुक्ति पाने के लिए उन्हें सभी तीर्थों की यात्रा करनी होगी।
श्री कृष्ण ने इस समस्या का समाधान बांसुरी से कुआं खोदकर किया। उन्होंने सभी तीर्थों को आमंत्रित किया, और सभी तीर्थ अपने पवित्र जल को वेणु कूप में प्रवाहित करने के लिए आए। इस प्रकार, भांडीरवन में एक अद्वितीय घटना घटी, जहां भगवान ने अपने भक्तों के लिए पवित्र जल की व्यवस्था की। यह घटना न केवल भगवान श्री कृष्ण की लीला को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे उन्होंने अपने भक्तों की भलाई के लिए हर संभव प्रयास किया।
भांडीरवन में राधा और कृष्ण के विवाह की भी मान्यता है, जो इस स्थान को और भी महत्वपूर्ण बनाती है। यहां के मंदिरों में इस प्रेम कहानी की गूंज आज भी सुनाई देती है। इस प्रकार, भांडीरवन एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जो भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं और उनके प्रेम को जीवित रखता है।