मानवाधिकारों को लेकर भारत ने चीन के ख़िलाफ़ वोट क्यों नहीं किया

in #world2 years ago

चीन के शिनजियांग प्रांत में मानवाधिकारों के उल्लंघन के मुद्दे पर गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद यानी यूएनएचसीआर में बहस का एक प्रस्ताव लाया गया था.

यूएनएचसीआर के 47 सदस्य देशों में से 17 देशों ने इस मसौदे के प्रस्ताव के समर्थन में वोट किया जबकि 19 ने इसके ख़िलाफ़ वोट किया.भारत ने इस मुद्दे पर चीन के ख़िलाफ़ नहीं जाने का फ़ैसला किया. इस पर विपक्षी दलों ने भारत सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाया है.

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने ट्वीट किया, "चीन के मुद्दे पर भारत सरकार के रुख़ में इतना अंतर क्यों है?"शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए ट्वीट किया, "हिंदी-चीनी भाई-भाई. लाल आंख से लेकर बंद आंख तक का सफ़र."वहीं कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने ट्वीट किया, "पाकिस्तान के अब्दुल रहमान मक्की को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के भारत और अमेरिका के प्रस्ताव का चीन विरोध कर देता है, लेकिन भारत ने चीन के ख़िलाफ़ वीगर समुदाय के मानवाधिकारों के उल्लंघन के प्रस्ताव के मसौदे से ख़ुद को अलग रखा है."शुक्रवार शाम को विदेश मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने चीन के शिनजियांग प्रांत का ज़िक्र किया और कहा कि इस स्वायत्त क्षेत्र के लोगों के हकों का "सम्मान किया जाना चाहिए" और उन्हें ये मिलना चाहिए.

माना जा रहा है कि पहली बार विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर अपनी स्पष्ट राय रखी है.

संवाददाता सम्मेलन में जब उसने पूछा गया कि शिनजियांग में मानवाधिकारों के उल्लंघन के मुद्दे पर हुए बहस के प्रस्ताव पर भारत ने वोटिंग नहीं करने का फ़ैसला क्यों लिया, तो उन्होंने कहा कि ये लंबे वक्त से अपनाई गई भारत की नीति के अनुसार है.

उन्होंने कहा, "शिनजियांग वीगर स्वायत्त क्षेत्र में रहने वाले लोगों के मानवाधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए और उन्हें वो हक मिलना चाहिए. हमें उम्मीद है कि इस संबंध में स्थिति को निष्पक्ष तरीके से समझा जाएगा और समस्या का हल निकाला जाएगा."_127005401_56340c50-eee8-49c5-b9b2-bc3239a54563.jpg.webp

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