बसनिया बांध : मंडला डिंडौरी के 31 गांव के 2735 परिवार होंगे विस्थापित

in #villages-of2 years ago

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  • निवास विधायक डॉ. अशोक मर्सकोले ने विधानसभा सत्र में नर्मदा घाटी में प्रस्तावित परियोजनाओं पर किया प्रश्न
  • 2884.88 करोड़ रूपए की लागत से बनेगा बसनिया बांध
  • काश्तकार निजी भूमि 2443, शासकीय भूमि 2107 और वन भूमि 2107 हेक्टेयर आएगी डूब में

मंडला. नर्मदा घाटी के मप्र हिस्से में 29 बांध बनाया जाना प्रस्तावित है। जिसमें से 10 का निर्माण हो चुका है और 05 बांधो का निर्माण कार्य प्रगति पर है। शेष 14 में से 10 बांधो को प्रशासकीय स्वीकृति मिल गई है। इस स्वीकृत बांधो में बसनिया बांध भी शामिल है। इसकी प्रशासकीय स्वीकृति 1 अप्रेल 2017 को दिया गया है। यह बांध गांव ओढारी तहसील घुघरी जिला मंडला में बनाया जाना प्रस्तावित है। इस बांध में काश्तकारो की निजी भूमि 2443 हैक्टेयर, वन भूमि 2107 हैक्टेयर और शासकीय भूमि 2107 हैक्टेयर जमीन डूब में आ जाएगी।

जानकारी अनुसार इस परियोजना से 42 गांव की 8780 हैक्टेयर जमीन में सिंचाई और 100 मेगावाट जल विद्युत का उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इसको बनाने की अनुमानित लागत अब 2884.88 करोड़ रूपये है। इस बांध से डिंडोरी के 13 और मंडला जिले के 18 गांव विस्थापित एवं प्रभावित होगा जिसके कारण 2735 आदिवासी परिवार विस्थापित होंगे। जिनकी आजीविका का एकमात्र साधन खेती है। जबकि 3 मार्च 2016 को विधानसभा में एक सवाल के जबाव में लिखित कहां गया है कि सात बांधो को नए भू-अर्जन अधिनियम से लागत में वृद्धि होने, अधिक डूब क्षेत्र होने, डूब क्षेत्र में वन भूमि आने से असाध्य होने के कारण निरस्त की गई। जिसमें मंडला डिंडोरी जिले की राघवपुर, रोसरा, बसनिया और अपर बुढनेर बांध शामिल है।

बताया गया कि मंडला का भौगोलिक क्षेत्र 5800 वर्ग किलोमीटर है। वन विभाग के वार्षिक प्रतिवेदन 2020- 2021 के अनुसार 2015 में मंडला जिला का वन आवरण क्षेत्र 2835 वर्ग किलोमीटर था जो 2019 में घटकर 2577 वर्ग किलोमीटर हो गया है। 258 वर्ग किलोमीटर अर्थात 25800 हेक्टेयर वन आवरण कम हुआ है। इस परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए बसनिया बांध को माइक्रो सिंचाई परियोजना में बदला जाए। जिससे न तो विस्थापन होगा और न ही जंगल डूब में आएगा। मांग कि गई है कि आदिवासी बाहुल्य मंडला और डिंडोरी जिले को उदवहन एवं माइक्रो सिंचाई योजना के माध्यम से संपूर्ण कृषि भूमि को सिंचित किया जाए।

  • निवास विधायक ने विधानसभा सत्र में पूछा था सवाल:
    मंडला जिले के विकासखंड मोहगांव के ग्राम ओढारी में नर्मदा नदी पर बसनिया बांध बनना प्रस्तावित है। बांध निर्माण का ठेका एफकोन्स कम्पनी मुम्बई को मिला है। निवास विधायक डॉ. अशोक मर्सकोले द्वारा वर्तमान विधानसभा सत्र में नर्मदा घाटी विकास मंत्री से सवाल पूछा था कि नर्मदा घाटी में प्रस्तावित किस किस परियोजना में आने वाली कितनी आरक्षित वन भूमि एवं कितनी संरक्षित भूमि प्रस्तावित है, इनमें कितने बड़े पेड़, छोटे पेड़ के जंगल मद की जमीन प्रस्तावित है। प्रश्न के जबाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जो नर्मदा घाटी विकास मंत्री भी हैं ने कहा कि निर्माण कार्य के लिए अनुबंधित एजंसी द्वारा ही वैकल्पिक भूमि के चयन एवं वन भूमि की अनुमति का कार्य किया जाना है।

  • निर्माण कार्य के लिए हो गया अनुबंध :
    नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के पत्र दिनांक 14 जनवरी 2015 द्वारा निर्माण कार्यो के अनुबंध में पृथक से कार्य आदेश जारी करने की व्यवस्था समाप्त की गई है। बता दे कि पर्यावरणीय प्रभाव आंकलन रिपोर्ट तैयार करने से लेकर उस रिपोर्ट पर पर्यावरणीय जनसुनवाई कार्यक्रम आयोजित कर पर्यावरणीय मंजूरी लेने की जिम्मेदारी अनुबंधित एजेंसी की होगी। परिशिष्ट में अलग से दी गई जानकारी अनुसार 24 नवम्बर 2022 को एफकोन्स हिंदुस्तान मुम्बई और नर्मदा घाटी विकास विभाग के बीच अनुबंध हो गया है। इस परिशिष्ट के रिमार्क में बताया गया है कि वर्तमान में परियोजना की निर्माण ऐजंसी का निर्धारण हो चुका है। विस्तृत सर्वेक्षण के बाद आवश्यक वन भूमि का निर्धारण संभव होगा।

  • 2884.88 करोड़ से बनेगा बांध :
    विभाग के डीपीआर में 2017 हेक्टेयर वन भूमि प्रस्तावित की गई है। दूसरी ओर नर्मदा घाटी विकास विभाग का पत्र दिनांक 6 अगस्त 2021 के अनुसार 2017 में बसनिया बांध की लागत 2782.02 करोङ रुपए थी। जिसे नर्मदा नियंत्रण मंडल की 70 वीं बैठक 27 जुलाई 2021 में लिए गए निर्णय के अनुक्रम में बसनिया बांध के लिए राज्य शासन द्वारा अद्यतन प्राकलित लागत रूपये 2884.88 करोड़ की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान किया गया है। जबकि नर्मदा नदी पर ही बसनिया बांध के ऊपर राघवपुर बांध के लिए एजेन्सी का निर्धारण नहीं होने की जानकारी दी गई है। बता दे कि बसनिया बांध से मंडला के 18 गांव और डिंडोरी के 13 गांव के 2735 परिवारों को विस्थापित किया जाएगा। काश्तकारों की निजी भूमि 2443 हेक्टेयर, शासकीय भूमि 2107 हेक्टेयर और वन भूमि 2107 हेक्टेयर डूब में आएगा।