माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की 40 वर्षों की भर्ती पर

मऊ 17 सितम्बरः(डेस्क)माध्यमिक शिक्षा विभाग ने जिले के सहायता प्राप्त विद्यालयों में शिक्षकों और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्तियों की जांच के लिए विजिलेंस को आदेश दिया है।

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इस जांच का उद्देश्य पिछले 40 वर्षों में हुई नियुक्तियों में संभावित अनियमितताओं का पता लगाना है। शासन के निर्देश पर, मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक ने जिला विद्यालय निरीक्षक को पत्र जारी किया है, जिसमें सभी संबंधित दस्तावेजों को विजिलेंस को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।

जांच की पृष्ठभूमि
इस जांच की आवश्यकता इसलिए महसूस की गई क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में सहायता प्राप्त विद्यालयों में 40,000 से अधिक भर्तियों में गड़बड़ी की शिकायतें आई थीं। इन भर्तियों में नियमों और मानकों का उल्लंघन होने का आरोप लगाया गया है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों और स्कूल प्रबंधन के बीच मिलीभगत के कारण ये नियुक्तियाँ हुई हैं, जिससे सरकार को सालाना 2400 करोड़ रुपये से अधिक का वित्तीय बोझ उठाना पड़ रहा है।

शिक्षकों की चिंताएं
विजिलेंस जांच के आदेश से शिक्षकों में अफरा-तफरी मच गई है। कई शिक्षक, विशेषकर वे जो पिछले तीन दशकों से नियुक्त हैं, इस जांच को लेकर चिंतित हैं। उन्हें डर है कि यदि उनकी नियुक्तियों में कोई अनियमितता पाई गई, तो उनके रोजगार पर संकट आ सकता है।

संघ की प्रतिक्रिया
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ ने इस जांच के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है। संघ ने कहा है कि यदि सरकार ने इस जांच को वापस नहीं लिया, तो वे हड़ताल करने पर मजबूर होंगे, जिससे पढ़ाई प्रभावित हो सकती है।

निष्कर्ष
इस पूरे मामले में शिक्षा विभाग और संबंधित अधिकारियों पर सवाल उठ रहे हैं। विजिलेंस जांच से यह स्पष्ट होगा कि क्या वास्तव में इन भर्तियों में कोई अनियमितता हुई थी या नहीं। इस प्रक्रिया से न केवल शिक्षकों की स्थिति स्पष्ट होगी, बल्कि यह भी पता चलेगा कि सरकारी धन का उपयोग सही तरीके से किया जा रहा है या नहीं।