सोशल आडिट पर कायम हुआ प्रधान समर्थक का दबदबा कागजी कोरम पूरा कर बैरंग लौटी टीम

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सन्त कबीर नगर ( सांथा ) इसे सोशल आडिट निदेशालय की कोई नीति अनुपालन चूक कहा जाय या अनुपालन की जिम्मेदारी मे जिला प्रशासन की नियम अवमानना मे कोई ढुलमुल रवैया कहा जाय । विकास खण्ड सांथा के ग्राम पंचायत लेदवा श्रीपाल मे सोशल आडिट टीम ग्राम प्रधान समर्थक के दबंगई के आगे नतमस्तक होकर तीन वित्तीय वर्ष का सोशल आडिट महज 30 से 40 मिनट मे एमआईएस रिपोर्ट के आधार पर कागजी कोरम पूरा कर बैरंग लौट गई । लौटे भी क्यो नही निम्नवत उठते सवाल मे व्यवसायिक शुल्क पर खण्ड विकास अधिकारी , एपीओ , सेक्रेटरी , तकनीकी सहायक , रोजगार सेवक व ग्राम वासियो द्वारा चुने गये ग्राम प्रधान की जिम्मेदारी की कर्त्तव्य परायणता देखेगे ?
बहरहाल नियमानुसार न 2018 _ 2019 , 2020 _ 2021 , 2021 _ 2022 वित्तीय वर्षो मे हुए सभी कार्यों का भौतिक सत्यापन हो पाया और न ही पन्द्रह दिन पूर्व कोई अभिलेख उपलब्ध कराया गया । हद तो तब और हो गई जब तथाकथित को ग्राम प्रधान मानने वाले खण्ड विकास अधिकारी द्वारा पन्द्रह दिन पूर्व उपलब्ध कराये जाने वाले अभिलेख के सम्बंध मे गैर जिम्मेदाराना " हम मीडिया को कोई जानकारी नही देगे " का उत्तर दिया गया । गैर जिम्मेदाराना रवैया को बल तब और मिल गया जब शत प्रतिशत सोशल आडिट के शासनादेश के अनुपालन मे अन्य कार्यदायी संस्थाओ के साथ खण्ड विकास अधिकारी / कार्यक्रम अधिकारी को निर्देशित करने वाले जिला विकास अधिकारी द्वारा प्रश्न के उत्तर मे मौन साध लिया गया ।
उल्लेखनीय है कि सामाजिक अंकेक्षण की " जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए , सहभागिता बढ़ाने के लिए , पारदर्शिता को प्रभावी बनाने के लिए , जागरूकता फैलाने के लिए , योजना के चयन, क्रियान्वयन एवं निगरानी मे अपेक्षित सुधार के लिए , नीतिगत परिवर्तन हेतु जन दबाव पैदा करने के लिए " की आवश्यकता मे बतौर उद्देश्य " आवश्यकताओ का सही निर्धारण करना , विकासात्मक गतिविधियो को प्राथमिकता पर करना , धनराशि का उचित सदुपयोग , निर्धारित लक्ष्यो के अनुसार विकासात्मक क्रियाओ का पूर्ण किया जाना , सेवा की गुणवत्ता बनाये रखना , योजनाओ मे पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व बनाये रखना " के क्रम मे सोशल आडिट निदेशालय के बतौर शासनादेश के सोशल आडिट मे पाये गये अनियमितता के प्रकरणो मे धनराशि की वसूली पर विशेष ध्यान के साथ शत प्रतिशत सोशल आडिट के जारी कैलेंडर के अनुपालन मे जिलाधिकारी की स्वीकृति मे जिला विकास अधिकारी की अध्यक्षता मे सोशल आडिट का कर्त्तव्य परायणता ऐसे दिखाया जा रहा है जैसे पानी पर खींची गई लकीर का वजूद होता है । नियमानुसार पंद्रह दिन पूर्व न तो कोई अभिलेख उपलब्ध कराया जा रहा है और न ही पारदर्शिता , सहभागिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित क्रम मे तकनीकी सहायक , सेक्रेटरी उपस्थित हो रहे है और न ही पर्यवेक्षक द्वारा कोई निरीक्षण किया जा रहा है ।
बताते चले कि पिछले पंचवर्षीय काल से गायब रोजगार सेवक अब्दुल अलीम और उसकी जिम्मेदारी के सभी बगैर रजिस्टर के वित्तीय वर्ष 2018 _ 2019 की व्यय राशि 67.14.681 मे लगभग सक्रिय 250 श्रमिक के 16838 मानव दिवस मे 5 पक्का नाला निर्माण कार्य , 7 इण्टरलॉकिंग , 10 कच्चा काम गड़ही खुदाई व मेढ़बंधी । वित्तीय वर्ष 2020 _ 2021 के 11.63.688 व्यय राशि मे 29506 मानव दिवस के साथ 12 पशुशेड ,12 इण्टरलॉकिंग 39 मिट्टी कार्य , मेढ़बंधी , गड़ही खुदाई तथा वित्तीय वर्ष 26.33.436 व्यय राशि व 12909 मानव दिवस मे 28 मेढ़बंधी व 2020_ 2021 का 29 पीएम आवास का सोशल आडिट महज 30/40 मिनट मे प्रधान के चहेते सहाबुद्दीन की अध्यक्षता मे संपन्न हो गया । न किसी श्रमिक का सत्यापन हो पाया न कोई शिकायत और न ही किसी कार्य का सत्यापन हो पाया । दौरान प्रधान समर्थक द्वारा सोशल आडिट टीम के सदस्यो की जिम्मदारी को यू कहिये की सोशल आडिट को दबाने की शैली मे मिनट्स रजिस्टर पर दस्तखत की प्रक्रिया पूरी की गई । यही नही प्राप्त जानकारी के अनुसार भौतिक सत्यापन के दौरान अड़ंगा डाला जा रहा था ताकि सोशल आडिट टीम मजबूरन चली जाय ।