यूपी: बुलडोजर कार्रवाई पर रोक की मांग वाली याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

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NEWS DESK: WORTHEUM, PUBLISHED BY: HEENA MANSURI, 16TH JUN 2022 12:06 AM IST

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उत्तर प्रदेश में बुलडोजर की कार्रवाई पर रोक की मांग वाली जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। याचिका में यूपी सरकार को ये सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है कि राज्य में हालिया हिंसा के आरोपियों की संपत्तियों पर अब और बुलडोजर न चले। जमीयत ने ही अप्रैल में दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में अतिक्रमण हटाओ कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। खास बात ये है कि एक दिन पहले ही मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के कुछ रिटायर्ड जजों और वकीलों ने सीजेआई को खत लिखकर यूपी में बुलडोजर कार्रवाई का संज्ञान लेने और उस पर सुनवाई करने की अपील की थी।

मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा ए हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा गया है कि किसी भी प्रॉपर्टी को बिना किसी नोटिस के ध्वस्त नहीं किया जा सकता है। ध्वस्तीकरण के लिए एक तय प्रक्रिया है और तय कानूनी प्रावधान और प्रक्रिया के तहत ही संपत्ति को ध्वस्त किया जा सकता है। उसकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच गुरुवार को सुनवाई करेगी।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में तोड़फोड़ के खिलाफ दाखिल याचिका पर भी सुनवाई करेगा। जमीयत ने प्रयागराज में पिछले जुमे को हुई पत्थरबाजी के कथित मास्टरमाइंड जावेद अहमद की संपत्ति पर कार्रवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इसमें गुहार लगाई गई है कि कि शीर्ष अदालत यूपी सरकार को यह सुनिश्चित करने को कहे कि तयशुदा कानूनी प्रक्रिया के तहत ही ध्वस्तीकरण की कार्रवाई हो अन्यथा नहीं।

सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को जहांगीरपुरी में बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिका पर भी सुनवाई करेगा। इन याचिकाओं में कहा गया है कि मामले में पिछली सुनवाई के बाद कुछ नए घटनाक्रम हुए हैं, जिनके बारे में इस अदालत का ध्यान आकर्षित करने की जरूरत है।

एक याचिका में कहा गया है, 'कुछ दिनों पहले दो नेताओं द्वारा कुछ आपत्तिजनक एवं अपमानजनक टिप्पणियां की गई थीं, जिन्हें लेकर देश के कई हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया। दोनों नेताओं की टिप्पणियों के विरोध में कानपुर में कुछ लोगों द्वारा बंद का आह्वान किया गया था।'

याचिका के मुताबिक, 'बंद के दिन हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच झड़प और पथराव हुआ। कानपुर में हिंसा के बाद कई अधिकारियों ने मीडिया में कहा है कि संदिग्धों/अभियुक्तों की संपत्ति को जब्त कर उसे ध्वस्त कर दिया जाएगा। यहां तक कि राज्य के मुख्यमंत्री ने भी मीडिया में कहा है कि आरोपियों के घरों को बुलडोजर के जरिए ध्वस्त किया जाएगा।'

याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस तरह के अवैध उपायों को अपनाना स्पष्ट रूप से प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है, खासकर उस सूरत में, जब शीर्ष अदालत वर्तमान मामले की सुनवाई कर रही हो।

इसमें कहा गया है, 'मौजूदा मामले में यह ध्यान देने योग्य है कि इस माननीय न्यायालय ने उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में समान परिस्थितियों में एक दंडात्मक उपाय के तौर पर किए जा रहे विध्वंस पर रोक लगाने का आदेश दिया था। इसलिए, यह देखते हुए कि उपरोक्त मामला फिलहाल इस माननीय न्यायालय के समक्ष लंबित है, ऐसे उपायों पर अमल करना और भी खतरनाक है।'

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