105 साल के बुजुर्ग ने 10825 दिन तक चलाया फावड़ा, लोग कह रहे बुंदेलखंड का दशरथ मांझी

in #update2 years ago

बुंदेलखंड को साहस और संघर्ष का प्रतीक कहा जाता है । यहां ऐसी प्रतिभाएं हैं जिन्होंने अपने संघर्षों से कामयाबी की नई लकीर खींची है । यदि हौसलों में उड़ान हो तो उम्र बाधा नहीं बनती है. यह बात बुंदेलखंड के दशरथ मांझी और भागीरथ कहे जाने वाले बैजनाथ राजपूत ने साबित कर दिखाई है । बैजनाथ राजपूत की उम्र 105 साल है । उम्र के इस पड़ाव में आकर भी उन्होंने अकेले दम पर तीन एकड़ का तालाब खोद डाला. ऐसा उन्होंने बुंदेलखंड में सूखे की समस्या को देखते हुए किया है । इस काम में उन्हें पांच साल का समय लगा है।
हमीरपुर उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव ब्रह्मानंद धाम बरहरा के रहने वाले बैजनाथ राजपूत का जन्म 1914 में हुआ था. होमगार्ड से सेवानिवृत्त होकर उन्होंने गांव को अपना ठिकाना बनाया । यहां खेती का काम संभाला । एक कुटिया बनाई और उसी में रहने लगे । इस बीच सूखे की समस्या ने कुछ इस कदर चुनौतियां खड़ी हुई कि खुद ही उसका समाधान खोजने लगे. कहीं से कोई मदद मिलती न देख खुद ही तीन एक का तालाब बना डाला ।
उम्र का शतक पार कर चुके बैजनाथ अपनी सेहत का राज योग और आयुर्वेद को देते हैं । उनका कहना है कि मैं अपनी दिनचर्या व्यवस्थित रखने के साथ योग जरुर करता हूं । छोटी-मोटी बीमारियों के वक्त गिलोय का काढ़ा, नीम पत्ती, तुलसी की पत्तियों से बनी दवाओं का सेवन करते हैं ।

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