अलीगढ़ जैन मुनि सरोवर नहीं सागर होते हैं, इनका विहार नियत है : आचार्य निर्भय सागर

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उत्तर प्रदेश के जनपद अलीगढ़ के खिरनी गेट स्थित दिगंबर जैन मंदिर में चातुर्मास के चार माह व्यतीत करने के उपरांत जैन आचार्य और मुनि ने मंगलवार की सुबह अलीगढ़ से बुलंदशहर खुर्जा की ओर मंगल पद विहार किया। विदाई की बेला में गुरु भक्तों की आंखें नम रहीं। आचार्य ससंघ के साथ बैंड-बाजे के साथ जयकारा लगाते सैकड़ों गुरु भक्त भी साथ चले। इससे पूर्व आचार्य ने अपनी मंगल देशना और गुरु भक्तों को मंगल आशीष दिया।आचार्य ने कहा कि आप अनुभव करना कि यात्रा के लिए निकलो तो शारीरिक परेशानियां आ सकती है लेकिन मानसिक रूप से बहुत शांति मिलती है। इसलिए लोग यात्रा करते हैं। ऐसे ही विहार करेंगे तो श्रमणों का वात्सल्य बढ़ता है। यदि हम विहार न करते तो अलीगढ़ में चातुर्मास कैसे हो पाता ? विहार करेंगे तो दूसरी जगह भी चातुर्मास होंगे और सबको आनंद मिलेगा। धर्म की गंगा बहेगी, पानी नदी का बहता रहे तो सब जगह स्वच्छ पानी मिलता है। हर जगह की फसल हरी-भरी होती है।