आजादी की जंग में गाजीपुर में स्‍वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने हवाई अड्डा ध्वस्त किये थे

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स्‍वामी स्वरूपानंद सरस्वती गाजीपुर ने अपने साथियों के साथ अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बिगुल फूंक दिया। राजवरी हवाई अड्डा ध्वस्त करने के साथ ही औड़िहार में रेल पटरी उखाड़ा गया एवं सैदपुर तहसील मुख्यालय पर भी हमला किया गया।

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गाजीपुर। स्‍वामी स्वरूपानंद सरस्वती जब संस्कृत की शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तो देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था। बाबा ने अपने साथियों के साथ अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बिगुल फूंक दिया। राजवरी हवाई अड्डा ध्वस्त करने के साथ ही औड़िहार में रेल पटरी उखाड़ा गया एवं सैदपुर तहसील मुख्यालय पर भी हमला किया गया। उस समय अंग्रेजी शासक नादरसोल ने बाबा के मित्र रहे रामपुर गांव निवासी वशिष्ठ सिंह की मड़ई को जलवा दिया था। उसी समय बाबा वाराणसी में गिरफ्तार हुए थे और शिवपुर जेल गए थे। देश आजाद होने के बाद बाबा जेल से बाहर आए और सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में जुट गए।

पंडित जवाहर लाल नेहरू की बातों से दुखी हुए थे स्वरूपानंद

स्वामी सरस्वरूपानंद सरस्वती पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के उन बातों से दुखी हुए थे जो देश आजाद होने के बाद उन्होंने बोला था। बाबा ने मुक्ति कुटीर पर बातचीत के दौरान बताया था कि जब देश आजाद हुआ तो पंडित जवाहर लाल नेहरू जेल से बाहर निकले तो उन्होंने कहा कि जय हो बागी बलिया। यह बात सुनकर बाबा दुखी हुए थे। बाबा का कहना था कि गाजीपुर में भी आजादी के रणबांकुरों ने अपने जान की बाजी लगाई थी।

ब्रह्मलीन होने का पता चलते ही शिष्य हुए दुखी

स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने का पता चलते ही उनके शिष्य दुखी हो गए। उनकी शिष्या फरिदहां गांव निवासी नीलमणि शास्त्री व लक्ष्मीमणि शास्त्री काफी दुखी हो गईं और एकांतवास में चली गईं। संस्कृत महाविद्यालय रामपुर के संरक्षक बालकृष्ण पाठक इसकी पुष्टि की। यह भी बताया कि बाबा का लगाव हमेशा इस क्षेत्र से रहा है। उनके ब्रह्मलीन होने से सनातन धर्म को अपूरणीय क्षति हुई है।