औरैया- जिले में 1848 को यहां से फूंका था क्रान्तिकारियों की एक टोली ने बिगुल

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IMG_20220811_061733.jpgऔरैया । स्वतंत्रता सेनानियों में अंग्रेजों भारत छोड़ो युद्ध में अजीतमल के रणबांकुरे ने भी अहम योगदान दिया था।जिसकी अगुवाई रूपसिंह, निरंजन सिंह अपने साथी लोगों के साथ मिलकर जब सरकारी फौज इटावा से अजीतमल की ओर बढ़ रही थी, तभी सभी स्वतंत्रता प्रेमियो ने सेना से जमकर युद्ध किया था जिसमे रूप सिंह के साथ साथी मारे गए थे। 20 अप्रैल 1848 से शुरू हुआ युद्ध 2 मई 1848 को दूसरा मोर्चा अजीतमल में खोला गया।और आज जो जीर्ण अवस्था में पड़ा पुराने थाने पर हमला बोलकर विदेशी सैनिकों को पीछे हटने को मजबूर कर दिया।
20 अप्रैल 1848 शाम को सरकारी फौज इटावा से अजीतमल की ओर बढ़ रही थी जिसकी जानकारी मिलने से पहले सेना ने हमला बोल दिया जिसमें रूपसिंह के सात आदमी वीरगति को प्राप्त हो गये, शेष लोग जमुना की खार में भाग गये, अंग्रेजी सेना के कमांडर ह्यूम चैपवेल व डायल के दलों में रजपुरा गांव तक पीछा किया और गांव में आग लगा दी। 2 मई को पुनः युद्ध रूपसिंह ने किया। जिसमें रूपसिंह के दीवान व कुछ सैनिकों ने क्रान्तिकारी की फौज ने अजीतमल थाने में अधिकार स्थापित कर लिया, जब अधिकार किया उस समय थाने के जनाब लेफ्टिनेंट शेरीफ,व ह्यूम साहब ने स्थान छोड़ दिया। जानकारी मिलते ही नाना साहब भी अपने 700 सैनिकों के साथ फंफूद आ पहुंचे। क्रान्तिकारी के वंशज मंगल सिंह ने बताया कि पूर्वेजो के बलिदान का आज हम सभी स्वतंत्रता दिवस के रूप में बनाते हैं।