नक्सली हमले में पैर खो चुके अफसर ने निभाया वादा

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ये कहानी है देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल, सीआरपीएफ के जांबाज 'सहायक कमांडेंट' वीर 'विभोर' की। तीन साल पहले वे नक्सलियों का गढ़ कहे जाने वाले 'सुकमा' में तैनात थे। ड्यूटी के दौरान विभोर की मुलाकात रामाराम के गांव तेलावर्ति स्थित कन्या आश्रम में छात्राओं से हुई। उन्होंने पूछा, क्या वे उनके लिए कुछ कर सकते हैं। बालिकाओं ने कहा, उनके स्कूल में टीवी नहीं है। उन्हें देश-दुनिया की खबर नहीं रहती। इसके बाद विभोर का तबादला हो गया। इस साल फरवरी में गया, बिहार में नक्सलियों के आईईडी हमले में विभोर बुरी तरह जख्मी हो गए। उनके दोनों पांव, शरीर से अलग करने पड़े। इतना कुछ होने पर भी विभोर अपना वादा नहीं भूले। अब उन्होंने आजादी के अमृत महोत्सव में रक्षाबंधन के पावन अवसर पर स्कूल को टीवी और डीटीएच मुहैया करा दिया। आदिवासी बालिकाओं और स्कूल के स्टाफ ने सीआरपीएफ के ग्राउंड कमांडर वीर विभोर को 'थैंक्यू' कहा है।ggg.jpg