लव-कुश ने की थी माता कुशहरी की स्थापना

in #unnao2 years ago

Screenshot_20220405_155205.jpgनवाबगंज उन्नाव।युगो से प्राचीन परंपरा के अनुसार जनपद उन्नाव में ऐसे कई स्थान हैं जिन्हें तीर्थ का स्थान नहीं प्राप्त हो सका लेकिन ऐतिहासिक और धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से उनका महत्व बहुत बड़ा है,ऐसे स्थानों में से एक श्री कुशहरी देवी जी का प्राचीन मंदिर है, जो कि उत्तर रेलवे लखनऊ कानपुर खंड पर पर्यटन रेलवे स्टेशन कुसुम्भी से मात्र 500 मीटर की दूरी पर है वही सड़क मार्ग पर आने जाने के लिए लखनऊ कानपुर राजमार्ग नवाबगंज नगर पंचायत से कुसुंबी ग्राम स्थित कुशहरी माता मंदिर के लिए रोड बनी है इसकी दूरी 3 किलोमीटर है।
मंदिर के इतिहास के विषय में मेला मालिक के पुत्र ज्योतिरादित्य प्रताप सिंह ने बताया की जनश्रुति एवं मान्यता के आधार पर कहा जाता है कि जब श्री राम ने माता सीता का परित्याग किया और लक्ष्मण जी को आदेश दिया कि माता सीता जी को रथ में बिठाकर जंगल में छोड़ दें लक्ष्मण जी जब सीता माता को रथ में बिठाकर जंगल की ओर चले तभी मार्ग में माता पिता जी को प्यास लगी तो उन्होंने लक्ष्मण जी से जल लाने को कहा लक्ष्मण जी कुछ दूर पर बने एक कुएं में पाल डालकर जल भरने लगे तभी कुए से एक अदृश्य शक्ति की आवाज आई कि पहले मुझे बाहर निकालो लक्ष्मण जी ने वैसा ही किया और उसमें से एक देवी की मूर्ति निकली जिसे लक्ष्मण जी ने कुएं के पास स्थित वटवृक्ष के पास रख दिया और पानी लेकर माता पिता के पास गए तथा उन्हें पूरा प्रसंग बताया इसके बाद पुनः सीता जी को रथ से लेकर आगे बढ़े गंगा तट पर स्थित परियर क्षेत्र में माता सीता जी को छोड़ा और बड़े भाई राम के द्वारा उनके परित्याग करने की पूरी बात बताई लक्ष्मण जी अयोध्या की ओर लौट चलें माता सीता जी वही तरुण कुंदन करने लगी माता का तरुण कुंद्र सुनकर महर्षि बाल्मीकि जी वहां पहुंचे और अपने आश्रम ले गए वहीं पर लव कुश का जन्म हुआ महर्षि बाल्मीकि के सानिध्य में दोनों बालक शिक्षित हुए और धनु विद्या में निपुण हुए उधर कुछ समय पश्चात श्री राम ने अश्वमेध यज्ञ अनुष्ठान किया व घोड़ा छोड़ा जो घूमता घूमता वाल्मीकि आश्रम के समीप पहुंचा लव कुश ने घोड़ा पकड़ा और राम की सेना के साथ युद्ध हुआ लव कुश ने सबको परास्त किया यह देखकर राम भी हतप्रभ रह गए उसी समय बाल्मीकि जी का आगमन हुआ तथा दोनों बालकों को पिता श्री राम जी का परिचय दिया तभी माता सीता धरती मां की गोद में समा गई उधर दोनों बालक पिता के साथ वापस अयोध्या की ओर निकले मार्ग में ही ग्राम कुसुंभी में रात्रि पड़ाव हुआ लव-कुश प्रतिदिन की माता सीता की संध्या आरती पूजन करते थे मां को ना पाकर बालक बहुत विचलित हुए तभी वटवृक्ष के पास रखी मूर्ति जो लक्ष्मण जी द्वारा निकाली गई थी पाकर दोनों बालकों ने माता सीता मानकर मूर्ति का आरती वंदन किया और मूर्ति को वहीं स्थापित कर दिया तथा मूर्ति की हमेशा पूजा-अर्चना होती रहे इसके लिए सेना के कुछ सदस्यों को वही रोक दिया गया कुश के नाम से माता का नाम कुशहरी देवी रखा गया और सेना के कुछ जवान यहां रोक दिए गए जिससे कुसुंबी गांव बसा
मेला प्रबंधक आलोक सिंह ने बताया चैत मास की पूर्णिमा से चैतावर मेला की शुरुआत कुशहरी माता मंदिर व नवाबगंज के दुर्गा माता मंदिर में होती है यह ऐतिहासिक मेला है इसमें समूचे भारतवर्ष के लोग आते हैं इसकी शुरुआत 16 अप्रैल से हो रही है।