एआरटीओ व ट्रेनिंग स्कूल स्वामियों की मिलीभगत से कागजों में हो रहा वाहन प्रशिक्षण

in #unnao2 years ago

-ट्रेनिंग स्कूल स्वामी बिना प्रशिक्षण के ही अप्रशिक्षितों को बांट रहे प्रमाणपत्र
-प्रमाण पत्र से मिले कॉमर्शियल लाइसेंस धारकों नेimages (43)__01__01.jpg बढाई सड़क दुर्घटनाएं
-एआरटीओ व आरआई कार्यालय में बैठ कर कर रहे निरीक्षण के कोरम
उन्नाव। सहायक संभागीय परिवहन कार्यालय में सब कुछ मनमाने ढंग से चलता है। यहां पर उच्चाधिकारियों के निर्देश और शासन की सख़्ती का भी असर नही दिखता है। परिवहन विभाग से संचालित मोटर ट्रेनिंग स्कूल मात्र रजिस्टर में तो अभ्यर्थियों को वाहन चालक का प्रशिक्षण दे रहे है। लेकिन धरातल पर कुछ भी नही। ठीक शब्दों में कहें तो पूर्व में जनपद में तैनात रहे एआरटीओ ने सांठगांठ कर मानकों को धता बता ट्रेनिंग स्कूलों का पंजीकरण कर लिया। ट्रेनिंग स्कूल अभ्यर्थियों को वाहन चालक का प्रशिक्षण देने के लिए खोले गए थे लेकिन धरातल पर स्कूल संचालित ही नही है। धड़ल्ले से बिना प्रशिक्षण के ही चालक प्रशिक्षण प्रमाण पत्र जारी हो रहे है। फर्जी तौर पर प्रमाण पत्र जारी करने का खेल लंबे समय से चला आ रहा है। नियमानुसार समय समय पर एआरटीओ व अन्य आरआई को ट्रेनिंग स्कूलों का निरीक्षण करने के निर्देश है। लेकिन जिम्मेदार कार्यालय की कुर्सियां तोड़ निरीक्षण के नाम पर जिम्मेदार कोरम पूरा कर रहे है, और बदले में जमकर चढ़ावा चढ रहा है।
परिवहन विभाग कार्यालय में भ्रष्टाचार चरम पर है। जिले में संचालित मोटर ट्रेनिंग स्कूल बीना प्रशिक्षण के ही प्रमाण पत्र बांट रहे है। जिससे बड़ी संख्या में कॉमर्शियल लाइसेंस बन गए है। अप्रशिक्षित चालको को कॉमर्शियल लाइसेंस मिलते ही सड़क पर वाहन लेकर निकल पड़ते है नतीजा है कि आज हर 4 मीनट में सड़क दुर्घटना में एक मौत हो रही है। जिले में पूर्व में तैनात रहे अधिकारियों ने मानकों को तार तार कर मोटर ट्रेनिंग स्कूलों को पंजीकरण दे दिया। स्कूलों के पास न तो ट्रेनिंग के लिए प्रशिक्षित चालक है जो अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण दे सके और न ही ठीक अवस्था में भारी वाहन है जिससे प्रशिक्षण दिया जा सके। और भी तमाम नियम है, लेकिन जिले में संचालित ट्रेनिंग स्कूल धरातल पर संचालित ही नही है, और न ही उनके पास कोई पाठ्यक्रम है। बस पंजीकरण कराने के बाद बड़ी संख्या में प्रमाणपत्र जारी कर रहे है। और परिवहन विभाग के जिम्मेदारों को स्कूलों से बड़े लिफाफे जा रहे है।बड़ी बात तो यह है कि जिम्मेदारों को स्कूलों से भी लिफाफे मिल रहे और उन प्रमाण पत्रों पर बनने वाले लाइसेंस में भी दलाल कार्यालय में चढ़ावा चढ़ाते है, क्योंकि एआरटीओ कार्यालय उन्नाव में सीधे काम करा पाना नाक से चने चबाने जैसा है क्योंकि यहां दलाल राज है, और दलाल से काम कराएंगे तो ही काम होगा। अब एआरटीओ कार्यालय का आलम यह है कि दलाल एआरटीओ प्रशासन पर हावी है।images (43)__01__01.jpg