श्रीमद्भागवत महापुराण के द्वितीय दिवस की भागवत कथा में अमर कथा

in #unnao2 years ago

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भगवतीचरण वर्मा पार्क सफीपुर उन्नाव में श्रीमद्भागवत महापुराण के द्वितीय दिवस की भागवत कथा में अमर कथा एवं शुकदेव जी के जन्म का वृतांत विस्तार से वर्णन भागवताचार्य परम् श्रद्धेय शिवाकांत जी महाराज ने किया। कथा के द्वितीय दिवस पर सभी श्रोता समुदाय ने महाराज श्री जी के मुखारविंद से कथा को श्रवण किया पूज्य शिवाकांत जी महाराज जी ने कथा की शुरुआत करते हुए कहा कि आप सब पर ठाकुर जी की अहेतु की कृपा का दर्शन है। जिसकी वजह से आप आज कथा का आंनद ले रहे है। और श्रीमद भगवत कथा का रसपान कर पा रहें है। क्यूंकि जिन्हे गोविन्द प्रदान करते है जितना प्रदान करते है उसे उतना ही मिलता है। उसके बाद कथा क्रम की शुरुआत भागवत जी के श्लोक का उच्चारण करते हुए। महाराज श्री जी ने बताया की अगर आप भागवत कथा सुनकर कुछ पाना चाहते हैं, कुछ सीखना चाहते है तो कथा में प्यासे बन कर आये, कुछ सिखने के उद्देश्य से, कुछ पाने के उद्देश्य से आएं, तो ये भागवत कथा जरूर आपको कुछ नहीं बल्कि बहुत कुछ देगी। ये भगवान जिनकी आप कथा सुनने आएं है अगर आप उनके बारे में जानने की कोशिश करें तो मेरा ठाकुर वो सत्य है सर्वेश्वर है, जो सृष्टि की रचना करता हैं सृष्टि का पालन करता हैं और जब कोई आपत्ति आती है तो सृष्टि का संहार भी करता हैं। महाराज श्री जी ने कहा कि हमें जो ये मानव जीवन मिला है। ये विषय वस्तु को भोगने के लिए नहीं मिला है लेकिन आज का मानव भगवान की भक्ति को छोड़ विषय वस्तु को भोगने में लगा हुआ है। उसका सारा ध्यान संसारिक विषयों को भोगने में ही लगा हुआ है।

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परन्तु मानव जीवन का उद्देश्य कृष्ण प्राप्ति सास्वत है अथवा हमारे जीवन का उद्देश्य कृष्ण को पाकर ही जीवन छोड़ना है और अगर हम ये दृढ़ निश्चय कर लेंगे की हमे जीवन में कृष्ण को पाना ही है तो हमारे लिए इससे बढ़कर कोई और सुख, संपत्ति या सम्पदा नहीं है। भगवत भागीरथी में जो आकर आप आज स्नान कर रहें है इसका मतलब ये है की स्वयं श्री कृष्ण आपसे मिलने आए है। जो भी इस भागवत के तट पर आकर विराजमान हो जाता है भागवत उसका कल्याण कर देती है, बिना जाती और बिना मजहब देखें इनसे आप जो मांगोगे ये आपको वो मनवांछित फल देती है और अगर कोई कुछ न मांगे तो उसे मोक्ष परियन्त तक की यात्रा कराती है भागवत। महाराज श्री जी ने कथा का वृतांत सुनाते हुए कहा की श्रीकृष्ण दुखी है की इस कलयुग के व्यक्ति का कल्याण कैसे हो, राधारानी ने पूछा क्या आपने इनके लिए कुछ सोचा है। प्रभु बोले एक उपाय है हमारे वहां से कोई जाए और हमारी कथाओं का गायन कराए और जब ये सुनेंगे तो इनका कल्याण निश्चित हो जाएगा।

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बात आई की कौन जाएगा, तो बोले की शुक जी जा सकते हैं, शुक को कहा गया वो जाने के लिए तैयार हो गए। श्री शुक भगवान की कथाओं का गायन करने के लिए जा रहे हैं तो मार्ग में कैलाश पर्वत पड़ा, कैलाश में भगवान शिव माता पार्वती के साथ विराजमान हैं। भागवत यही अमर कथा है जो भगवान शिव ने माता पार्वती को सुनाई थी। कथा सुनना भी सबके भाग्य में नहीं होता जब भगवान् भोलेनाथ से माता पार्वती ने उनसे अमर कथा सुनाने की प्रार्थना की तो बाबा भोलेनाथ ने कहा की जाओ पहले यह देखकर आओ की कैलाश पर तुम्हारे या मेरे अलावा और कोई तो नहीं है क्योकि यह कथा सबको नसीब में नहीं है। माता ने पूरा कैलाश देख आई पर शुक के अपरिपक्व अंडो पर उनकी नज़र नहीं पड़ी। भगवान शंकर जी ने पार्वती जी को जो अमर कथा सुनाई वह भागवत कथा ही थी। लेकिन मध्य में पार्वती जी को निद्रा आ गई और वो कथा शुक ने पूरी सुन ली। यह भी पूर्व जन्मों के पाप का प्रभाव होता है कि कथा बीच में छूट जाती है। भगवान की कथा मन से नहीं सुनने के कारण ही जीवन में पूरी तरह से धार्मिकता नहीं आ पाती है। जीवन में श्याम नहीं तो आराम नहीं। भगवान को अपना परिवार मानकर उनकी लीलाओं में रमना चाहिए। गोविंद के गीत गाए बिना शांति नहीं मिलेगी। धर्म, संत, मां-बाप और गुरु की सेवा करो। जितना भजन करोगे उतनी ही शांति मिलेगी। संतों का सानिध्य हृदय में भगवान को बसा देता है। क्योंकि कथाएं सुनने से चित्त पिघल जाता है और पिघला चित ही भगवान को बसा सकता है। श्री शुकदेव जी की कथा सुनाते हुए शिवाकांत जी महाराज ने बताया कि श्री शुकदेव जी द्वारा चुपके से अमर कथा सुन लेने के कारण जब शंकर जी ने उन्हें मारने के लिए दौड़ाया तो वह एक ब्राह्मणी के गर्भ में छुप गए। कई वर्षों बाद व्यास जी के निवेदन पर भगवान शंकर जी इस पुत्र के ज्ञानवान होने का वरदान दे कर चले गए। व्यास जी ने जब श्री शुक को बाहर आने के लिए कहा तो उन्होंने कहा कि जब तक मुझे माया से सदा मुक्त होने का
आश्वासन नहीं मिलेगा। मैं नहीं आऊंगा। तब भगवान नारायण को स्वयं आकर ये हना पड़ा की श्री शुक आप आओ आपको मेरी माया कभी नहीं लगेगी ,उन्हें आश्वासन मिला तभी वह बाहर आए। यानि की माया का बंधन उनको नहीं चाहिए था। पर आज का मानव तो केवल माया का बंधन ही चारो ओर बांधता फिरता है। और बार बार इस माया के चक्कर में इस धरती पर अलग अलग योनियों में जन्म लेता है। तो जब आपके पास भागवत कथा जैसा सरल माध्यम दिया है जो आपको इस जनम मरण के चक्कर से मुक्त कर देगा और नारायण के धाम में सदा के लिए आपको स्थान मिलेगा। सुमधुर भजनों के साथ पूज्य महराज जी ने भक्ति मय उदगारों के मध्य सफीपुर भक्ति रस की वर्षा की,,उक्त अवसर पर सैकड़ों भक्तगण जयजयकार कर प्रभुकृपा प्राप्त करते रहे,,,

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