सिद्धार्थनगर के नाम से जाना बांगरमऊ का जातिसूचक मोहल्ला

in #unnao2 years ago

उन्नाव :हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रमुख सचिव ने जारी किया शासनादेश
बांगरमऊ के एक अनुसूचित जाति सूचक नाम से बसे मोहल्ले का नाम बदलकर सिद्धार्थनगर होगा! नाम बदलने को लेकर उच्च न्यायालय के सख्त आदेश के बाद नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव ने शासनादेश जारी कर दिया है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के समस्त जिलाधिकारियों को भी निर्देश जारी कर कहा गया है कि नगर निकाय के वार्ड गठन के समय किसी असंसदीय नाम व असंवैधानिक तथा विशेष जाति सूचक शब्द के नाम पर नामकरण न किया जाए। यदि किसी वार्ड का नाम किसी असंसदीय, विशेष जाति सूचक शब्द के आधार पर हो तो संबंधित निकाय के बोर्ड द्वारा प्रस्ताव पारित कर संबंधित जिलाधिकारी की स्पष्ट संस्तुति सहित प्रस्ताव यथाशीघ्र शासन को उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित किया जाए। मालूम हो कि कस्बा बांगरमऊ के मोहल्ला व वार्ड संख्या 9 का नाम भंगियाना है, जो असंवैधानिक व अशोभनीय तथा जातिसूचक है। इस मोहल्ले का नाम बदलने के लिए पिछले काफी समय से स्थानीय नागरिकों द्वारा मांग की जा रही थी। कोई कार्यवाही न होने पर 26 दिसंबर 2018 को नगर पालिका परिषद की बोर्ड की बैठक में मोहल्ले का नाम भंगियाना बदलकर सिद्धार्थनगर किए जाने का प्रस्ताव पारित किया गया था। उसके बाद दिनांक 23 सितंबर 2019 को नगर पालिका परिषद बांगरमऊ ने प्रस्ताव की प्रति उत्तर प्रदेश शासन को आवश्यक कार्यवाही हेतु मोहल्ले का जातिसूचक का नाम बदलकर सिद्धार्थनगर किए जाने के लिए प्रेषित किया था। इसके साथ ही मोहल्ले के नागरिकों ने इस संबंध में कई प्रार्थना पत्र मुख्यमंत्री व प्रमुख सचिव नगर विकास को भी प्रेषित किए थे। फिर भी इस संबंध में कोई कार्यवाही नहीं हुई। स्थानीय नागरिकों की विशेष मांग पर तहसील क्षेत्र के ग्राम इस्माइलपुर आंबापारा निवासी उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ के वरिष्ठ अधिवक्ता तथा यश भारती सम्मान से सम्मानित प्रमुख समाजसेवी फारूक अहमद ने इस मोहल्ले के निवासी ज्ञानेंद्र कुमार के नाम से 27 अप्रैल 2022 को उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ में एक जनहित याचिका दायर की थी। जिसकी सुनवाई 5 मई 2022 को न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी ने की थी। उच्च न्यायालय ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा था कि संविधान को लागू हुए 72 साल हो चुके हैं फिर भी आज तक नगर पालिका परिषद बांगरमऊ में मोहल्ले का नाम जातिसूचक शब्द से है जो काफी दुःखद है। सरकार की तरफ से पेश हुए स्थाई अधिवक्ता ने न्यायालय से आवश्यक कार्यवाही के लिए 5 दिन का समय मांगा था। इस पर उच्च न्यायालय ने कहा था कि हम आशा करते हैं और विश्वास रखते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार इन्हीं 5 दिनों में उचित और सकारात्मक निर्णय ले लेगी। इस केस की अगली सुनवाई 10 मई नियत की गई थी।
उच्च न्यायालय के सख्त रुख को देखते हुए नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने बांगरमऊ नगर के इस जातिसूचक मोहल्ले का नाम बदलकर सिद्धार्थनगर किए जाने का शासनादेश जारी कर दिया है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के समस्त जिलाधिकारियों को भी निर्देश जारी कर कहा गया है, कि नगर निकाय के वार्ड गठन के समय किसी असंसदीय व असंवैधानिक तथा विशेष जाति सूचक शब्द के नाम पर किसी वार्ड का नामकरण न किया जाए। यदि किसी वार्ड का नाम किसी असंसदीय व विशेष जाति सूचक शब्द के आधार पर हो तो संबंधित निकाय के बोर्ड द्वारा प्रस्ताव पारित कर संबंधित जिलाधिकारी की स्पष्ट संस्तुति सहित प्रस्ताव यथाशीघ्र शासन को उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित किया जाए। शासनादेश जारी हो जाने से इस वार्ड का नाम बदलकर अब सिद्धार्थनगर हो जाएगा। काफी समय से चल रही इस मांग के उच्च न्यायालय के आदेश पर पूरी हो जाने पर फारूक अहमद एडवोकेट की नगर व क्षेत्र में खूब चर्चा हो रही है।

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