मोहर्रम पर मातम और मजलिसों का दौर शुरू
खबर उन्नाव से है जहा रविवार को पहली मोहर्रम से शहर में शिया बहुल इलाकों में अज़ाखाने सज गये और मजलिसों-मातम का दौर शुरू हो गया। कर्बला में हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत में मनाये जाने वाले मोहर्रम पर आंसुओं का नजराना पेश किया जा रहा है। जिले भर में मोहर्रम को लेकर इमामबाड़े में अलम पटके सजा कर मजलिसे शुरू हो गई हैं। 30 जुलाई को पहली मजलिस इमामबाड़ा मोहल्ले कासिम नगर में कासिम हुसैन ज़ैदी के यहां हुई। जिसे मौलाना जाफर साहब ने खिताब किया। उन्होंने कहा कि कर्बला का वाकया एक मिसाल है हक और बातिल के बीच के फर्क की। उन्होंने कहा कि हजरत इमाम हुसैन ने शहादत देकर पूरी दुनिया में इस्लाम को सुर्खरू किया। उन्होंने कहा कि इस्लाम कट्टरपंथी मजहब नहीं बल्कि बहुत सरल और पाकीजा मजहब है। जंगे ओहद से इस्लाम का परचम बुलंद हो गया। इसके बाद कर्बला की जंग ने वो मिसाल पेश की जो रहती दुनिया तक सत्य और असत्य को आईना दिखाता रहेगा। इसी के साथ पूरे जिले भर में मातम और मजलिसों का दौर शुरू हो गया है।