दुनिया की बड़ी तेल कंपनियों ने 'आपदा ' को बना लिया है 'अवसर', मुनाफे में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
दुनिया की सबसे तेल कंपनियों के मुनाफे में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हो रही है। दुनिया में कच्चे तेल की बढ़ी महंगाई से उनकी तिजोरी में अतिरिक्त अरबों डॉलर आए हैं।
इसका इस्तेमाल ये कंपनियां शेयर बाई बैक (अपने शेयरों को वापस खुद खरीद लेने) करने के लिए कर रही हैं।
अमेरिकी मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक सबसे बड़ी तेल कंपनियों- बीपी, शेवरॉन, एक्सन मोबिल, शेल और टोटलएनर्जीज को साझा तौर पर इस वर्ष की दूसरी तिमाही (अप्रैल से जून तक) में 60 बिलियन डॉलर का मुनाफा हुआ। इनमें से आधा मुनाफा सिर्फ शेवरॉन और एक्सॉन मोबिल को हुआ है। शेल और टोटलएनर्जीज ने इस दौरान रिकॉर्ड कमाई की है। दूसरी तिमाही में इन कंपनियों के प्रदर्शन संबंधी आंकड़े इस सप्ताहांत जारी हुए हैं।
विश्लेषकों के मुताबिक इन कंपनियों का मुनाफा यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊर्जा की महंगाई के कारण बढ़ा है। इस महंगाई से विकसित देशों समेत पूरी दुनिया के उपभोक्ता परेशान हैं। यूरोप के कई देशों में ऊर्जा सप्लाई की राशनिंग करने जैसे उपायों पर विचार किया गया है। जबकि यह दौर बहुराष्ट्रीय तेल कंपनियों के लिए एक बड़ा अवसर बन कर सामने आया है।
बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक हुई अतिरिक्त कमाई का कुछ हिस्से का कंपनियों ने अपना कारोबार बढ़ाने में निवेश किया है, लेकिन ज्यादातर रकम शेयर बाइ-बैक में खर्च किया गया है। शेयर बाइ-बैक से कंपनी के शेयरों के भाव उछलते हैं। उसका लाभ निवेशकों को भी मिलता है। ताजा उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक पांच बड़ी तेल कंपनियों ने इस वर्ष से जनवरी से जून के बीच 20 बिलियन डॉलर शेयर बाइ-बैक पर खर्च किए। साल की दूसरी छमाही में उनके खर्च का यह ट्रेंड जारी रहने की संभावना है। ऊर्जा बाजार के विश्लेषक फैसल एस हर्सी ने कहा है कि बड़ी तेल कंपनियां आने वाले समय में भी अपने कारोबार में खुशहाली को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक निवेशकों को कंपनियों की आमदनी बढ़ने से लाभ होता है। खास कर जिस समय अमेरिका में मंदी आने की आशंका गहरी हो गई है, निवेशकों की खास नजर तेल कंपनियों में पैसा लगाने पर है। दूसरे उद्योगों की तुलना में तेल कारोबार का भविष्य उज्ज्वल माना जा रहा है, लेकिन बढ़े मुनाफे से शेयर बाइ-बैक करने के कंपनियों के रुख पर कई हलकों से सवाल उठाए गए हैं।
आलोचकों ने कहा है कि तेल कंपनियां अमेरिकी उपभोक्ताओं की बिना कोई परवाह किए सिर्फ अपने शेयरों के भाव बढ़ाने में जुटी हुई हैं। यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी तेल कंपनियो के इस रुख की आलोचना कर चुके हैँ। उन्होंने कहा है कि इन कंपनियों ने यूक्रेन युद्ध के कारण बढ़ी महंगाई को मुनाफा बढ़ाने का मौका बना लिया है।
ब्रिटेन ने अपने यहां की तेल कंपनियों- बीपी और शेल- के 'असाधारण मुनाफे' पर विशेष टैक्स लगाने की घोषणा की है। आलोचना इसलिए भी हुई है कि तेल कंपनियों ने अपने मुनाफे से कारोबार बढ़ाने के बजाय शेयर बाइ-बैक करने का फैसला किया। अगर वे कारोबार बढ़ातीं, तो उससे रोजगार के नए अवसर पैदा होते।
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