नोएडा: क्यों गिराया जा रहा सुपरटेक ट्विन टावर, बिल्डर ने कैसे किया 'खेल', रिफंड का क्या स्टेटस.

in #twin2 years ago

नोएडा के सेक्टर-93 A में स्थित ट्विन टावर का ध्वस्तीकरण को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं. इस प्रक्रिया को लेकर स्थानीय लोगों में चिंता और उत्साह दोनों है. यह पूरा विवाद कई साल पुराना है, जिसमें अदालतों के फैसलों ने कई नाटकीय मोड़ लाए हैं. अब 28 अगस्त को इस ट्विन टावर को ध्वस्त करने की तैयारी है.
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हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिलने के बाद बीते कई महीनों से नोएडा स्थित सुपरटेक ग्रुप के प्रोजेक्ट एमराल्ड कोर्ट के 2 निर्माणाधीन टावर्स को गिराने की तैयारी चल रही है. बायर्स की शिकायत के बाद एपेक्स और सियाने टावर्स को गिराने का आदेश कोर्ट ने दिया है.

इनका बनना जहां घर खरीदारों के लिए एक बड़ा धोखा था, वहीं इनको गिराने की प्रक्रिया भी कम तकलीफदेह नहीं है. गिराने की प्रक्रिया के दौरान घरों को होने वाले संभावित नुकसान से लेकर विस्फोट से उड़ने वाली धूल तक हर कदम यहां रहने वालों के लिए खौफ के साए में रहने के समान है.यह विवाद करीब डेढ़ दशक पुराना है. नोएडा के सेक्टर 93-A में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के लिए जमीन आवंटन 23 नवंबर 2004 को हुआ था. इस प्रोजेक्ट के लिए नोएडा अथॉरिटी ने सुपरटेक को 84,273 वर्गमीटर जमीन आवंटित की थी. 16 मार्च 2005 को इसकी लीज डीड हुई लेकिन उस दौरान जमीन की पैमाइश में लापरवाही के कारण कई बार जमीन बढ़ी या घटी हुई भी निकल आती थी.

सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के मामले में भी प्लॉट नंबर 4 पर आवंटित जमीन के पास ही 6.556.61 वर्गमीटर जमीन का टुकड़ा निकल आया जिसकी अतिरिक्त लीज डीड 21 जून 2006 को बिल्डर के नाम कर दी गई. लेकिन ये दो प्लॉट्स 2006 में नक्शा पास होने के बाद एक प्लॉट बन गया. इस प्लॉट पर सुपरटेक ने एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया. इस प्रोजेक्ट में ग्राउंड फ्लोर के अलावा 11 मंजिल के 16 टावर्स बनाने की योजना थी.नक्शे के हिसाब से आज जहां पर 32 मंजिला एपेक्स और सियाने खड़े हैं वहां पर ग्रीन पार्क दिखाया गया था. इसके साथ ही यहां पर एक छोटी इमारत बनाने का भी प्रावधान किया गया था. यहां तक भी सब कुछ ठीकठाक था और 2008-09 में इस प्रोजेक्ट को कंप्लीशन सर्टिफिकेट भी मिल गया.

एक फैसले से गहरा गया ट्विन टावर्स का विवाद

लेकिन इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार के एक फैसले से इस प्रोजेक्ट में विवाद की नींव भी पड़ गई. 28 फरवरी 2009 को उत्तर प्रदेश शासन ने नए आवंटियों के लिए एफएआर बढ़ाने का निर्णय लिया. इसके साथ ही पुराने आवंटियों को कुल एफएआर का 33 प्रतिशत तक खरीदने का विकल्प भी दिया गया. एफएआर बढ़ने से अब उसी जमीन पर बिल्डर ज्यादा फ्लैट्स बना सकते थे.