The punishment of widow marriage, neither the in-laws nor the in-laws came to shoulder

in #the2 years ago

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पाली /बाली ये सिर्फ एक महिला नहीं, एक समाज की...और उससे भी ज्यादा इंसानियत की मौत की खबर है।

रविवार रात कैंसर से पीड़ित एक महिला की मौत हो गई। पति और दो मासूम बेटियां 21 घंटे तक शव के पास बैठकर रोते रहे। न आंसू पोंछने के लिए कोई रिश्तेदार था और न ही कंधा देने के लिए कोई पड़ोसी।
वजह- 10 साल पहले खाप पंचायत ने एक फरमान जारी कर परिवार को समाज से बाहर कर दिया था। पंचायत का खौफ ऐसा कि पड़ोसी या समाज के लोग तो दूर, करीबी रिश्तेदार भी गम में शामिल होने नहीं आए। सोमवार शाम तक पति दो मासूम बेटियों के साथ शव के पास बैठा आंसू बहाता रहा। शाम को एक सामाजिक संगठन को पता चला तो उसके सदस्य आए और महिला का अंतिम संस्कार कराया।
मामला पाली जिले के बाली में सादड़ी थाना क्षेत्र के मूंडारा गांव का है। मूंडारा के कसनाराम का सिर्फ इतना सा कसूर था कि उसने एक विधवा महिला कन्यादेवी से शादी की। कसनाराम ने बताया कि कन्या देवी की शादी बाली उपखंड के टिपरी निवासी एक युवक से हुई थी। जिसकी मौत हो गई थी।
कसनाराम ने बताया कि 2012 में मैंने उससे शादी कर ली। इस शादी से नाराज खाप पंचायत ने मुझे और परिवार वालों को समाज से बाहर कर दिया। इसके बाद से मैं डूंगरली गांव में रह रहा हूं। वहां चाय की थड़ी लगाता हूं।

उम्मीद थी- कोई दर्द बांटने आएगा

रविवार रात करीब नौ बजे कैंसर के कारण कन्यादेवी (45) की मौत हो गई। उनकी दो बेटियां रवीना (8), काजल (2) हैं। खाप पंचायत के डर से रिश्तेदार-पड़ोसी कोई नहीं आया। रातभर और पूरे दिन कसनाराम कभी इन दोनों बेटियों को संभालता तो कभी घर की दहलीज की ओर इस आस में देखता कि कोई तो उसे और उसकी बेटियों को संभालने आएगा, लेकिन कोई नहीं आया।

3 किमी दूर ससुराल, 6 किमी दूर पीहर
मृतका कन्यादेवी के ससुर डुगरली से मात्र 3 किलोमीटर दूर रहते हैं। वहीं मृतका का पीहर भी मात्र 6 किलोमीटर दूर गुड़ा कल्याण सिंह में है। कसनाराम ने दोनों जगह सूचना दी, लेकिन कोई नहीं आया।

बेटी ने दी मुखाग्नि

शाम तक जब कोई नहीं आया तो थक हारकर कसनाराम ने सादडी ईगल रेस्क्यू टीम के संयोजक जितेंद्र सिंह राठौड़ को सूचना दी। वे सोमवार शाम छह बजे अपनी टीम के साथ पहुंचे और एंबुलेंस में कन्यादेवी का शव ले जाकर अंतिम संस्कार किया। श्मशान घाट पर जितेंद्र सिंह की बेटी जीविका और कसनाराम की बड़ी बेटी रविना ने चिता को मुखाग्नि दी।

जितेंद्र सिंह ने बताया कि यह परिवार समाज से बहिष्कृत था। जिसके कारण किसनाराम के यहां कोई नहीं आया, इसलिए संस्था की ओर से उसकी पत्नी का अंतिम संस्कार किया गया

दरअसल, राजस्थान में कई खाप पंचायतें सक्रिय हैं। ये पंचायतें समाज से जुड़े विवादों के साथ-साथ ऐसे मामलों पर तुगलकी फरमान जारी करती है, जो उसे पसंद नहीं आता। कसनाराम का मामला भी ऐसा ही था, खाप पंचायत उसके फैसले से नाराज हो गई और उसे समाज से बाहर कर दिया।

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