निवास क्षेत्र की सबसे बड़ी और प्रसिद्ध मडई का आगाज 30 से

in #the8 months ago

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निवास क्षेत्र की सबसे बड़ी और प्रसिद्ध मडई का आगाज 30 से
पिपरिया मड़ई में आते है दूर-दूर के व्यापारी, दर्जनों गांवों से आती हैं चंडियां

मंडला. निवास क्षेत्र में पुराने व नये वर्षों को जोडऩे वाली मड़ई की प्रतीक्षा आसपास के अंचलों के निवासियों को दीपावली के बाद से ही शुरु हो जाती है। पिपरिया मड़ई के आते आते पचास से भी अधिक मड़ई हो चुकी होती हैं फिर भी पिपरिया मड़ई की रंगत में किसी भी प्रकार की कमी नहीं आती। अपने क्षेत्र की सबसे बड़ी मड़ई होने के कारण इस मड़ई को लेकर मंडला के साथ जबलपुर, डिंडौरी उमरिया, शहडोल, अनूपपुर आदि जिलों के व्यापारियों में भी खासा उत्साह रहता है, जिसके लिये वे खास तैयारियां करते हैं।

ग्राम के दिनेश चौकसे ने बताया कि वर्षों से यहां आसपास के निवास, पिपरिया, मोहगांव, जवैधा, बम्हनी, बालपुर सिवनी, मवई, हिरनाछापर, सिंगपुर, जुझारी, पायली, बाहूर आदि गावों से दर्जनों चंडियां लेकर ग्रामवासी मांदर व बाजों की थाप में नाचते गाते मड़ई ब्याहने पहुंचते हैं और चंडी माता का पूजन कर निरोग होने के साथ सुख समृद्धि का आशीर्वाद लेते है।

बताया गया कि तहसील क्षेत्र में रोजगार के पर्याप्त साधन न होने कारण अपने जीविकोपार्जन के लिए अन्य राज्यों में पलायित ग्रामीणों के लिये यह घर वापिसी का भी बहाना होता है। सभी अपने अपने घर आकर सगे संबंधियों के साथ मिलकर कुछ समय बिताने का समय मिल जाता है। इसके साथ ही मड़ई में किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना न घटे इसके लिये पुलिस प्रशासन पहिले से ही पर्याप्त व्यवस्था कर ली है वही निवास थाना प्रभारी सुरेश सोलंकी ने मड़ई स्थल का निरीक्षण किया हैं।

  • गर्म कपड़ों के लिये प्रसिद्ध :
    यूं तो मड़ई में चाट-फुल्की, चाय -नास्ता, जलेबी मिठाई, बिंदी, चूड़ी, झूले आदि सभी प्रकार का भरपूर व्यापार होता है लेकिन सबसे ज्यादा व्यापार तो गर्म कपड़ों का ही होता है। मड़ई का आयोजन दिसंबर के अंतिम दिनों में होता है, जब ठंड भी अपने चरम में होती है। कहीं पाला पड़ रहा होता है तो कहीं खर्रा गिर रहा होता है। ऐसे समय में गरम कपड़ों की महती आवश्यकता महसूस होने लगती है। उसी समय मड़ई में गरम कपड़ों के व्यापारियों की उपस्थिति लोगों को खरीदी करने हेतु आकर्षित करती है। जहां लोग अपनी आवश्यकता और आर्थिक स्थिति के अनुसार कंबल, रजाई, गरम बनियान, शाल, टोपा, मफलर आदि की खरीदी करते हैं। लोगों का आकर्षण भेड़ के बालों से निर्मित ऊन से बने कंबल की ओर ज्यादा रहता है लेकिन इस तरह के कंबल बहुत ही कम स्थानों में मिलते हैं जो कि कड़ी से कड़ी ठंड में भी कुछ ही मिनटों में आपको पसीने से तर करने क्षमता रखते हैं।

  • दो दिन की मड़ई को पड़ते हैं चार दिन भी कम:
    कहने को तो यह मड़ई दो दिवसीय होती है लेकिन अपनी ख्याति और महत्व के कारण चार दिनों से भी ज्यादा दिनों तक चलती रहती है। प्रथम दिन पूजन अर्चन के बाद मुख्य चंडी को स्थापित किया जाता है और दूसरे दिन मड़ई के समापन की औपचारिक घोषणा कर दी जाती है लेकिन इसके बाद भी अगले दो दिनों के बाद भी लोगों का आना जाना लगा रहता है।

  • मनोरंजन के साधन :
    मड़ई को और आकर्षित बनाने में मनोरंजन के साधन मौत का कुआ, सुपर ड्रागंन झूला, क्रॉस झूला, काला जादू, सर्कस, रिकॉडिंग डांस, आक्सीय झूला, नाव झूला आदि का भी बहुत बड़ा महत्व होता है जो ग्रामीण अंचल में निवास करने वाले लोगों के लिए आकर्षण के केंद्र होते हैं।