नारलाई के आसपास की पहाड़ियों में फिल्माई 'थार',क्षेत्रवासियों ने की पसंद

in #thar2 years ago

FB_IMG_1655041102356.jpgमैंने रिलीज के दिन ही एक्शन थ्रिलर फ़िल्म 'थार' देख ली थी। एक दशक से देश के सिने जगत में एक बड़ा बदलाव आया हैं। थियेटर के सिमटते जाने के दौर में अब ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ही मूवी को हाथोंहाथ दर्शक मिल जाते हैं।
अनिल कपूर के नाम का आकर्षण था और मेरे गांव नारलाई के आसपास की पहाड़ियों में इसे फिल्माया गया था। मूवी के अंत तक ही ये दो वजह ही इसे देखने का कारण बनी।
मुझे गुडा खोबान की पहाड़ियां,झाड़ियां,पगडंडिया इस मूवी में खूब भाए। अपने इलाके का सबको आकर्षण होता हैं। कलाकारों के राजस्थानी बोल भी सुहाने लगे। लिहाजा क्षेत्रवासियों ने इसे पसंद किया हैं।
फ़िल्म के निर्माता निर्देशक राजसिंह चौधरी को शूटिंग साइट को चुनने में दो महीने का वक्त लगा। उन्हें यहां कुछ बोलते से पहाड़ों के लोकेशन यहां नजर आए। अमेरिका, इटली और मैक्सिको जैसी प्राकृतिक झलक यहां देखने को मिली।
दैनिक भास्कर में मूवी के रिलीज के दिन ही छपी तोषचंद्र चौहान की रिपोर्ट में चौधरी ने बताया कि यहां कई अनछुए लोकेशन हैं, जो सहज ही आकर्षित कर लेते हैं। ऐसे में पर्यटन के लिहाज से क्षेत्र की बॉडिंग बढ़ानी चाहिए। बॉलीवुड के लाइन प्रोड्यूसर्स तक इन लोकेशन की प्रभावी पहुंच पर भी काम होना चाहिए।
चौधरी ने सच ही कहा कि इस इलाके में कई अनछुए लोकेशन हैं। यहां के मंदिर,लोक देवताओं के थान,देवरे,संतों के आश्रम,शिकारगाहें,चारागाह,चट्टानें,जलस्रोत,अभ्यारण्य,वनस्पति,वन्य जीव इस तरह के हैं कि आने वाले वक्त में फिल्मकारों की मूवी के कंटेंट को मजबूत कर सकते हैं।
इसी इलाके में बड़े पर्दे की 'मीरा' के गिरधर' व सैफ अली अभिनित 'लाल कप्तान' बन चुकी हैं। आशा की जा सकती हैं कि फिल्मकार इसी तरह से यहां फिल्में बनाते रहे तो नारलाई की भंवरगिणी,जैकल पहाड़,कोलर का आम का बाग,कोट-सांभरिया की सतपालिया की पहाड़ियां,गुडा खोबान की शिकारगाहें,कोट का डाक बंगला,मेवी खुर्द के महादेव मंदिर,नाड़ोल की खदानों,देसूरी का सेलीनाल बांध व इसके उद्गम सूरजकुंड(ग्वार मझेरा),घाणेराव के गुडा भोपसिंह,गरासियों का ओडा,खरनी की टेकरी,ठण्डीवेरी,आरेठ मार्ग,धाणा फाटक,सुमेर के चट्टानों के बीच घुमावदार रास्ते, लोहागढ़ व कालेश्वर महादेव के पहाड़,नदी-नाले व हरियाली,देसूरी नाल,सुथारों का गुडा का बीहड़नुमा नाले व राजपुरा-मांडीगढ़ से खेत खलिहानों व अरावली के दृश्य भी बेहतर लोकेशन हो सकती हैं। शिल्पकला से समृद्ध रणकपुर मंदिर व प्रकृति की खूबसूरती समेटे परशुराम महादेव तो प्रसिद्ध है ही।
मूवी के दमखम के बारे में रिव्यू मीडिया में आ चुके हैं। ओटीटी प्लेटफार्म के सारे दोष इसमें हैं। गाली गलौज व अश्लीलता के चलते मूवी परिवार के साथ बैठकर नही देखी जा सकती। मोबाइल पर भी ईयरपीस लगाकर देखनी-सुननी पड़ जाएगी।

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'थार' ग्रामीण पृष्ठभूमि की शानदार ओटीटी मूवी हैं।