उनका जीवन एक झटके में बर्बाद कर दिया गया है।
स्थायी नौकरियों के स्थान पर अस्थाई नौकरियों का चलन, आर्थिक मोर्चे पर हमारी नाकामी की दास्ताँ है।
छंटनी में बेरोजगार हुए लोगों के बारे में कल्पना कीजिए। माता-पिता का इलाज, घर की EMI, बच्चों की फीस... उनका जीवन एक झटके में बर्बाद कर दिया गया है।