चांद पर उतरने के बाद क्या-क्या करेगा भारत का चंद्रयान-3?

in #targetslast year

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो ने भरोसा जताया है कि अब से कुछ ही देर में चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुवीय इलाके में सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग कर लेगा. चांद का दक्षिणी हिस्‍सा विज्ञान और शोध के लिए समृद्ध भंडार है. सबकुछ ठीक रहा और चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग सफल रही तो दुनिया के लिए अब तक अबूझ पहेली रहे चांद के दक्षिणी हिस्‍से के कई रहस्‍य सुलझाने में दुनिया को बड़ी मदद मिलेगी. जानते हैं कि चांद पर उतरने के बाद भारत का चंद्रयान-3 क्‍या-क्‍या करेगा?

Chandrayaan-3-10.webp

चंद्रयान-3 अपने साथ आठ पेलोड का एक सेट ले गया है. इसमें एक पेलोड अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी उपलब्ध कराया है. चंद्रयान-3 का प्रपल्‍सन मॉड्यूल शेप नाम के नए प्रयोग के साथ आता है, जो रहने योग्य ग्रह पृथ्वी के स्पेक्ट्रो पोलरिमेट्री का संक्षिप्त रूप है. शेप को उन परिवर्तनों को देखने के लिए डिजाइन किया गया है, जो जीवन के लिए उचित वातावरण से गुजरने वाले तारों की रोशनी में होता है. यह प्रयोग खगोल विज्ञान के क्षेत्र में बड़ी छलांग है. इसका मकसद पृथ्वी जैसे रहने योग्य दूसरे ग्रहों की खोज में नासा और यूरोपीय स्‍पेस एजेंसी जैसी अंतरिक्ष एजेंसियों की कतार में शामिल होना है.
चांद के भूकंप का अध्‍ययन करेगा आईएलएसए
चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल आईएलएसए नाम का एक खास उपकरण ले गया है. ये चांद की भूकंपीय गतिविधि की निगरानी के लिए खास उपकरण है. आईएलएसए का काम चांद पर आने वाले भूकंपों का पता लगाना और उनका अध्ययन करना है. उम्‍मीद की जा रही है कि चंद्रमा पृथ्वी के मुकाबले 1000 गुना ज्‍यादा शांत है. आईएलएसए जब इसकी पुष्टि कर देगा, तो यह भविष्य की खोजों के लिए राह खोल देगा. चंद्रयान-3 लैंडिंग के बाद चंद्रमा की सतह पर लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल वेव वेधशाला यानी लिगो स्थापित करेगा. लिगो एक उन्‍नत उपकरण है, जिसका इस्‍तेमाल गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाने और उनका अध्ययन करने के लिए किया जाता है.