ताइक्वांडो के इतिहास में 2023 काले अध्याय के रूप में दर्ज होगा : प्रभात शर्मा

in #taekwondo6 months ago (edited)
  • मैंने खिलाड़ियों को उनका अधिकार दिलाने का संकल्प लिया है और यह मैं उनको दिला कर रहूँगा : प्रभात शर्मा
  • ताइक्वांडो के मठाधीशों को ऐसा खदेड़ने का काम किया जाएगा जो ताइक्वांडो ही नहीं देश के किसी भी खेल महासंघ में कोई भी अभिभावक सत्ता के सर्वोच्च पद पर ना पहुंच सके: प्रभात शर्मा

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प्रदीप कुमार रावत
आगरा। भारतीय खेलों और ताइक्वांडो के लिहाज से वर्ष 2023 इतिहास के काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा। इस साल बहुत कुछ बदलाव देखने को मिले और खेल मठाधीशों ने अपनी महत्वाकांक्षाओं के चलते देश के खिलाड़ियों के भविष्य के साथ खुलकर खिलवाड़ किया है। यही नहीं भारत में पहली बार ऐसा देखने को मिला कि राष्ट्रीय खेलों के नाम खिलाड़ियों को प्रतिभाग करने के लिए साढ़े चार हजार रुपये से लेकर साढ़े पांच हजार रुपये तक की राशि वसूली गई। इसके बाद भी जब मठाधीशों की जेब नहीं भरी और उनकी कुंठा शांत नहीं हुई तो गोवा में आयोजित किए गए ताइक्वांडो इवेंट में मनमानी की गई। यह सारा खेल देश की सर्वोच्च खेल संस्था भारतीय ओलंपिक संघ और देश की सरकारी सर्वोच्च खेल संस्था साईं के बैनर तले खेला गया। खिलाड़ियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर मठाधीश अपनी मूंछों पर तांव दे रहे हैं। लेकिन भारतीय ओलंपिक संघ और खेल मंत्रालय भारत सरकार के पास ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (मंगेशकर गुट) को मान्यता देने का एक भी संवैधानिक बिंदु उपलब्ध नहीं है। बावजूद इसके खेल मंत्रालय और भारतीय ओलंपिक संघ ने देश के स्पोर्ट्स कोड और उच्च न्यायालय के आदेशों की खुलेआम अवहेलना की है। निश्चित तौर पर 2023 भारतीय खेल इतिहास के काले अध्याय में दर्ज किया जाएगा।

बेशक भारतीय नागरिकों के लिए वर्ष 2024 किसी काल्पनिक वर्ष से कम नहीं है। 500 सालों के लंबे इंतज़ार के बाद अयोध्या में प्रभु श्रीराम पधारे हैं। राम लला के दर्शन के लिए मानो पूरा देश उमड़ पड़ा हो। हर गाँव, हर शहर से सिर्फ राम धुन ही सुनाई दी। पीएम नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी को अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा कर इतिहास रच दिया। एक ऐसा अध्याय लिख़ दिया जिसके लिए लाखों लोगों ने बलिदान दिया था। आज पूरे देश में परिवर्तन की बाजार दिखाई दे रही है।

अयोध्या में 500 साल बाद प्रभु श्रीराम के दर्शन हो रहे हैं। प्रभु श्रीराम टाट में से निकल कर अपने खुद के भव्य महल में पहुँच गए हैं। वहीं दूसरी तरफ भारतीय खेल संघ में भी कुछ रावण रूपी राक्षस प्रवेश कर गए हैं, जो खेल के माहौल को तो दूषित करने का काम तो कर ही रहे हैं, वहीं देश के सर्वश्रेष्ठ एथलीट्स के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी कर रहे हैं। अब वह समय आ गया है कि देश के खेल महासंघों में घुसे हुए राक्षस रूपी रावणों को खदेड कर बाहर निकाला जाए।

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देश के प्रधानमंत्री मंत्री हर मंच से जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं, लेकिन खेल संघो में अभी यह जीरो टॉलरेंस की नीति दूर की कौड़ी साबित हो रहा है। भारतीय ओलंपिक संघ और खेल मंत्रालय को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीरो टॉलरेंस की नीति रास नहीं आ रही है, यही कारण है कि आईओए और स्पोर्ट्स मिनिस्ट्री भारत सरकार के स्पोर्ट्स कोड और उच्च न्यायालय के आदेशों की खुले आम धज्जियां उड़ा रही है। ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ़ इंडिया( मंगेशकर गुट) द्वारा भी कुछ ऐसा ही किया जा रहा है। इस गुट के पास विश्व ताइक्वांडो महासंघ की किसी भी तरीके की कोई ऑथेंटिक संबद्धता नहीं है बावजूद इसके आईओए और खेल मंत्रालय ने मंगेशकर गुट के ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ इंडिया को मान्यता दे रखी है। इस गुट को जब से मान्यता दी गई है, तभी से खिलाड़ियों का आर्थिक शोषण खुलेआम किया जा रहा है। हद तो यह है कि मंगेशकर गुट में ईमानदारी का चोला पहने वाले सफ़ेद पोश ही सबसे बड़े डकैत बन गए हैं। इसमें उत्तर प्रदेश पहले पायदान पर आता है। जहां खुलेआम खिलाड़ियों को लूटा जा रहा है, और वहां पर किसी की हिम्मत नहीं कि विरोध किया जाए। यही नहीं जो विरोध करता है उसको बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।

उत्तर प्रदेश में ताबड़तोड़ कई प्रतियोगिता आयोजित की गई है, राज्य से लेकर राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का आयोजन उत्तर प्रदेश में हुआ है। उक्त प्रतियोगिताओं में खिलाड़ियों से जमकर वसूली की गई, यही नहीं राष्ट्रीय स्पर्धाओं को आयोजित करने वाले जिला पदाधिकारी को बाहर का रास्ता दिखाने की कवायद भी की गई है। यह हाल तब है, जब मंगेशकर गुट के ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के पास वर्ल्ड ताइक्वांडो की किसी भी तरीके की कोई मान्यता नहीं है।

इस संबंध आर डी मंगेशकर का पक्ष जानने की कई बार कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। कहावत है कि "चोर की दाढ़ी में तिनका" होता है। यह कहावत आर डी मंगेशकर और संतोष मोहंती गुट पर सटीक बैठती है। गौरतलब है कि यह दोनों ही आज ताइक्वांडो में उच्च पदों पर है और इनका ताइक्वांडो से किसी भी तरीके का कोई सरोकार नहीं है। यह दोनों एक अभिभावक के रूप में आए और सत्ता के शिखर तक पहुंच गए।

वही इस संबंध में खिलाड़ियों के लिए लगातार प्रयास करने वाले और खिलाड़ियों के लिए न्यायालय की लड़ाई लड़ने वाले प्रभात कुमार शर्मा का कहना है कि "जब सैंया भए कोतवाल, तो डर काहे का ".. उन्होंने कहा कि वर्ष 2023 निश्चित तौर पर काले अध्याय के रूप में ही दर्ज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमने खिलाड़ियों के लिए हर संभव प्रयास किया और उसका प्रतिफल यह निकला कि खिलाड़ियों को वाइल्ड कार्ड की एंट्री के जरिए नेशनल गेम्स में प्रतिभा करने का मौका मिला ही नहीं मिला बल्कि उन्होंने स्वर्णिम सफलता अर्जित कर ताइक्वांडो मठाधीशों के नापाक इरादों पर कालिख़ पोतने का काम किया है।

प्रभात कुमार शर्मा ने कहा कि ईमानदारी का चोला पहनने वाले बताएं कि जब उनके पास वर्ल्ड ताइक्वांडो की संबद्धता नहीं है तो फिर यह लोग ब्लैक बेल्ट का प्रमोशन टेस्ट कहां से कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब किसी संस्था के पास उसके वैश्विक महासंघ से मानता ही नहीं है तो उस खेल का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि आज धोखे से ही सही ताइक्वांडो की सत्ता के शिखर पर अभिभावकों का कब्जा है ना कि ताइक्वांडो एथलीट्स और ताइक्वांडो टेक्निशियन का। उन्होंने कहा कि यह मेरे ऊपर बोझ नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है कि इन्हें खदेड़ कर बाहर का रास्ता ही नहीं दिखाऊ बल्कि एक ऐसा माहौल बनाऊ कि ऐसे अभिभावक ताइक्वांडो ही नहीं बल्कि कभी भी, किसी भी खेल महासंघ में यहां तक पहुंचने का दुस्साहस न कर सकें।

प्रभात कुमार शर्मा ने कहा कि यह उन लोगों के लिए शर्म की बात है कि एक बाहरी व्यक्ति आज सत्ता के शिखर पर बैठा है और वह उसके अधीन काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं खुले रूप से चुनौती देता हूं जब तक इनको बेदखल और उखाड़ नहीं फेंकूंगा तब तक चैन से नहीं बैठूंगा। उन्होंने कहा कि मैंने देश के खिलाड़ियों से वादा किया है कि वह(प्रभात शर्मा ) उनका अधिकार दिला कर रहेंगे।

बहरहाल, ताइक्वांडो के लिए पिछले कई वर्ष काले अध्याय के रूप में ही रहे हैं। ताइक्वांडो की सत्ता को पाने के लिए आर डी मंगेशकर, संतोष मोहंती, एल सुकून सिंह, प्रवीन कुमार, राज कुमार की जोड़ी हर वह प्रयास कर रही है जिससे खिलाड़ियों को बारगलाते हुए उन्हें हर हाल में लूटा जाए, और इसमें मंगेशकर पूरी तरह सफल भी हैं। आरडी मंगेशकर के पास इसका कोई जवाब नहीं है कि वह अपने खिलाड़ियों को वैश्विक प्रतियोगिताओं में प्रतिभा क्यों नहीं करा पा रहे, यही नहीं उनके पास इसका भी जवाब नहीं है कि वह ताइक्वांडो एथलीट्स के ब्लैक बेल्ट प्रमोशन टेस्ट कहां से....??? सवाल बेहद कड़वे और पेचीदे हैं... जवाब सिर्फ एक ही है कि आज देश के खिलाड़ियों को गुमराह कर मठाधीश अपनी और अपने चहेतों की जेबों को भरने में लगे हुए हैं।