धुआं उगलते कंडम वाहनों की अनदेखी आखिर कब तक?
सूरजपुर :- इसे कहते हैं ‘करे कोई और भरें कोई’। वाहन चालकों की करस्तानी और विभाग की लापरवाही का खामियाजा जिले वासियों को भुगतना पड़ रहा है। लोगों के स्वास्थ्य से कैसे खिलवाड़ किया जाता है, पर्यावरण सुरक्षा के प्रति कैसे उदासीनता बरती जाती है। इसके बाद जिम्मेदार जिले भर में प्रदूषण फैलाते कंडम वाहनों को मूकदर्शक बनकर सब देख रहे हैं।
एक ओर कई वर्ष से बिना पाल्यूशन अंडर कंट्रोल और फिटनेस कराएं हजारों सवारी और मालवाहकों आटो, बस, प्रदूषण फैला रहे हैं, तो दूसरी ओर प्रशासन इनके खिलाफ कार्रवाई करने के प्रति उदासीनता बरत रहा है। हद तो यह है कि जांच नहीं होने से शहर के अंदरुनी इलाकों में 15 वर्ष से ज्यादा पुरानी व कंडम तीन व चार पहिया वाहन चल रहा है। वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या बन गया है। जिले वासी वायु प्रदूषण की चपेट में गुजर बसर कर रहे हैं। ऐसे में कंडम वाहनों से निकलने वाले जहरीले धुएं से पर्यावरण को नुकसान पहुंचना और लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ना चिंता का विषय है। आखिर ऐसी सुविधाओं का क्या मतलब, जिससे प्रदूषण फैल रहा हों? लोग बीमारियों की जकड़ में आ रहे हो ? सवाल सिर्फ यह नहीं कि शासन प्रशासन प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है, सवाल यह भी है कि ऐसे गैर जिम्मेदारों को सबक सिखाने के लिए प्रदेश सरकार आखिर क्या कर रही है? ऐसा नहीं है कि धुआं उगलते कंडम वाहन पहली बार सड़कों पर दौड़ रहे हो। वर्षों से यह सिलसिला जारी है।
प्रदूषण की मार से कोई नहीं बच सकता
लोग यह कैसे सहन कर सकते हैं कि उनका स्वास्थ्य खराब होता रहें और वाहन चालक अपनी मनमानी करते रहे। सौ बात की एक बात आखिर परिवहन विभाग कंडम वाहनों को राजसात क्यों नहीं करती ? बेपरवाह वाहन चालकों को सीखचों के पीछे क्यों नहीं डालती ? ‘न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी’ प्रदूषण की मार से राहगीर हो या वाहन चालक कोई नहीं बच सकता है। क्योंकि, श्वास लेना सबके लिए जरूरी है।
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