हृदय
ह्रदय का सम्बन्ध न शास्त्रों से है न किसी धर्म से। हृदय का सम्बन्ध तो उत्सव, आनन्द और परमात्मा से है।
यदि आप स्नेह भरी दृष्टि से संसार को देखने लगें और आपका ह्रदय करुणा से भरा हुआ है, तो आपका पूरा जीवन ही एक प्रार्थना में रूपांतरित हो जाएगा।
जिन आंखों में प्रेम है, उन्हें प्रकृति की हर वस्तु में प्रार्थना का आविर्भाव दिखाई देगा। उन्हें संसार के प्रत्येक पदार्थ में परमात्मा दिखाई देगा।
अहम् से ऊँचा कोई आसमान नहीं। किसी की बुराई करने जैसा आसान कोई काम नहीं।
स्वयं को पहचानने से अधिक कोई ज्ञान नहीं। और क्षम करने से बड़ा कोई दान नहीं।