प्रिय भक्त

in #story2 years ago

बहुत समय पहले की बात है एक संत अन्य साथियों के साथ बद्रीनाथ जी के दर्शनार्थ जा रहे थे !
मार्ग में उनका पाचन बिगड़ गया ;मल-त्याग के लिये उन्हें कई बार रुकना पड़ता !

साथियों को असुविधा होने लगी धीरे-धीरे वे साथ छोड़ कर आगे निकल गये !सन्त दिन प्रतिदिन दुर्बल होते गये ;एक छोटी से गुफ़ा में गिर गये इतना कष्ट होने पर भी राम नाम सतत चलता रहा !

मन ही मन प्रभु से अरदास की -यदि यही तेरी इच्छा है तो यही पूर्ण हो ;रोग रूप में तेरा हार्दिक स्वागत है फ़रियाद करते करते आँख लग गई !

अगले दिन सुबह ही एक वृद्ध हाथ में दही-भात का कटोरा और दूसरे में दवाई की पुड़िया लिये पधारे और बोले -यह खा लो जल्दी ठीक हो जाओगे !संत ने वृद्ध की ओर ध्यान से देखा ;पहचानने की कोशिश की पर निष्फल भारी कमज़ोरी के कारण दृष्टि धुँधली थी !

दवा दही खिचड़ी खा ली !
वृद्ध ने कहा कल फिर आऊँगा ;तीन दिन की अवधि है पूरा क़र लो तो पूर्णतया स्वस्थ हो जाओगे !सन्त निरन्तर राम-राम ही जपते रहते और सोचते भी रहते -यहाँ सेवा दान करने वाला कौन है यह ?

आख़िर पूछ ही लिया -कौन हैं आप ?-पहले ठीक हो जाओ फिर पूछना लो दवाई खा लो !-नहीं पहले बताओ !-न बताऊँ तो ?-मैं दवाई न खाऊँ तो ?-मत खाओ मैं जाता हूँ ;ऐसा कहकर वृद्ध चले गये !

थोड़ी देर बाद फिर लौट आये -तुम दवा खा लो तो मैं जाऊँ !सन्त ने कहा -आप मेरे प्रश्न का उत्तर दो तो मैं दवा खाऊँ !
मधुर वार्तालाप पर वृद्ध मुस्कुराये और चतुर्भुज रूप में प्रकट हो गये !

सन्त श्री चरणों पर मस्तक नवा कर बोले -इतने सुनसान निर्जन वन में आपके अतिरिक्त और कौन आ सकता है ?हे प्रभु क्या आप स्वयं दौड़ दौड़ कर इसी प्रकार भक्तों को सेवा-दान देते हो ?
प्रभु कहते हैं

जब कोई प्रिय भक्त मिल जाता है तो उसके मन में प्रेरणा भर देता हूँ यदि कोई नहीं मिलता तो स्वयं सेवा के लिये उपस्थित हो जाता हूँ !

मनमोहन रोचक वार्तालाप करके जीवन को परमानन्द से परिपूरित करके प्रभु अन्तर्धान हो गये !

जय जय श्रीराधे प्रिय भक्तों