विद्युत प्रवाहित तारों की चपेट में आकर हुई मौत मामले में परिवार मुआवजे का हकदार

in #srinagar2 years ago

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श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने सुरक्षा के लिए लगाए विद्युत प्रवाहित तार की चपेट में आकर हुई सिंचाई कर्मचारी की मौत के मामले में परिवार को मुआवजे का हकदार बताया है। 13 साल बाद आए फैसले में कोर्ट ने प्रभावित परिवार को 15,72,592 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। पीड़ित परिवार को वर्ष 2009 से छह फीसदी ब्याज के साथ राशि देनी होगी।
न्यायमूर्ति संजय धर की पीठ ने कहा, यह एक स्वीकृत तथ्य है कि सीआरपीएफ ने कंटीले तारों के विद्युतीकरण के उद्देश्य से बिजली विकास विभाग से बिजली कनेक्शन नहीं लिया था। पुलिस रिपोर्ट से इस बात की पुष्टि हुई कि ट्रांसफार्मर के हाई वोल्टेज केबल के रबर इंसुलेटर के पिघलने के कारण तारों में करंट प्रवाहित हुआ। विद्युत विकास विभाग के अधिकारियों का कर्तव्य है कि वे सभी विद्युत कनेक्शनों, विशेष रूप से महत्वपूर्ण स्थापना, हाई टेंशन तारों और ट्रांसफार्मर की नियमित रूप से जांच करें। यह सुनिश्चित करना उनका वैधानिक कर्तव्य है कि इन प्रतिष्ठानों के उचित रखरखाव के अभाव में कोई दुर्घटना न हो। भले ही यह मान लिया जाए कि सीआरपीएफ कर्मियों ने पीडीडी की जानकारी के बिना कांटेदार तारों का विद्युतीकरण किया था, अदालत ने कहा, तथ्य यह है कि पीडीडी के अधिकारियों द्वारा इसका पता नहीं लगाया गया था। यह दर्शाता है कि बिजली के प्रतिष्ठानों की कोई नियमित निगरानी नहीं थी।
इस मामले में विद्युत विकास विभाग के अधिकारियों की लापरवाही बहुत बड़ी है। अदालत ने पीडीडी के वकील के इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि उक्त विभाग के अधिकारियों के खिलाफ दायर चालान को ट्रायल मजिस्ट्रेट ने खारिज कर दिया है और इस तरह यह नहीं कहा जा सकता है कि विभाग के अधिकारी लापरवाह थे। अदालत ने कहा, इस तर्क को खारिज किया जाना तय है क्योंकि बिजली विकास विभाग के अधिकारियों को बरी करने या छुट्टी देने का मतलब यह नहीं है कि उन्होंने लापरवाही नहीं की। इसके बाद, अदालत ने भट के परिवार को याचिका दायर करने की तारीख (2009) से लेकर उसकी प्राप्ति तक 6 फीसदी प्रति वर्ष की दर से ब्याज के साथ 15,72,592 रुपये के मुआवजे का हकदार माना।