श्रीलंका: 'धर्म की राजनीति' जिन्हें पड़ी बहुत महंगी- ग्राउंड रिपोर्ट
दो बड़े आलीशान गेटों की रखवाली करने अब सुरक्षाकर्मी खड़े मिलते हैं. इन गेटों पर 'ग्राफ़िटी' बना दी गई है, जिसमें लिखा है, 'गए न गोटा' और 'श्रीलंका बिना राजपक्षे.'
चंद दिन पहले तक इस गेट के अंदर का भव्य राष्ट्रपति भवन एक म्यूज़ियम सा दिखाई पड़ता था.
डेढ़ किलोमीटर तक की लंबी क़तारें बनाकर, शांतिपूर्ण तरीक़े से श्रीलंका के नागरिक- कोलंबो और बाहर के शहरों से- बस ये देखने आ रहे थे कि पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे कितनी शानोशौक़त से रह रहे थे.
आने वालों में सिंहला, तमिल हिंदू, तमिल मुसलमान और ईसाई धर्म के लोग थे.
उस दिन मुलाक़ात गुनासेखरा से हुई थी, जिनके हाथ में एक छोटा बच्चा भी था. उन्होंने कहा, "यहां आज हम सभी श्रीलंका के नागरिक हैं. धर्म, जाति और इतिहास सब नए ढंग से लिखा जाएगा अब."
श्रीलंका में राजनीतिक और आर्थिक संकट ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है, लेकिन सत्ता से बाहर हो चुके राजपक्षे परिवार के ख़िलाफ़ देश में सामाजिक और धार्मिक एकजुटता दिख रही है