सीतापुर : नैमिष के लिए वादे हजार, धरातल पर उतरने का इंतजार

in #sitapur2 years ago

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सीतापुर। नैमिषारण्य तीर्थ के प्रति लोगों में अपार श्रद्धा है। यह धरती पर आठवां बैकुंठ माना जाता है। देश ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। वीआईपी श्रद्धालुओं का भी यहां तांता लगा रहता है। यहां चक्रतीर्थ, व्यास गद्दी, मनु सतरूपा तपोभूमि और हनुमान गढ़ी प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। मगर सुविधाओं की बात करें तो अब भी यहां इसका अभाव ही नजर आएगा। 84 कोसी परिक्रमा मार्ग तो आज भी बदहाल है। वहीं नैमिष में भी श्रद्धालुओं के लिए बहुत बेहतर इंतजाम नहीं हैं। 2019 में ही 84 कोसी परिक्रमा मार्ग को बेहतर बनाने की योजना तैयार की गई थी। इसके तहत यहां मार्गों का चौड़ीकरण, गेस्ट हाउस का निर्माण जैसे कार्य होने थे, जो आज तक पूरे नहीं हो सके। यहां तक कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी नैमिष को सौ करोड़ की सौगात दी थी। इसके तहत गोमती नदी राजघाट, पांच पांडव किला व स्वागत गेट के सौंदर्यीकरण एवं पार्किंग व्यवस्था समेत अन्य तमाम कार्य होने थे। इतना ही नहीं पर्यटकों के लिए स्टीमर से राजघाट से देवदेवेश्वर तक जाने की सुविधा भी मिलनी थी, जो आज भी सपना ही है। हर माह अमावस्या पर यहां दो से तीन लाख श्रद्धालु जुटते हैं। मगर यहां की अव्यवस्थाएं उन्हें परेशान करती हैं। यहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा अच्छी नहीं है। जितनी भी घोषणाएं या वादे यहां के विकास के हुए थे, उनमें से सिर्फ देवदेवेश्वर घाट के निर्माण का काम ही पूरा हो सका है। प्रदेश के प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थलों से जोड़ने की योजना भी अधूरी
नैमिष को प्रदेश के प्रमुुख धार्मिक पर्यटन स्थलों से जोड़ने की योजना थी, मगर अभी सिर्फ मथुरा बस सेवा ही शुरू हो सकी है। यहां आने वाली रोडवेज बसों की संख्या भी काफी कम है। ऐसे में बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को डग्गामार वाहनों में सफर करना पड़ता है। स्थानीय लोग भी कई बार बसों की संख्या बढ़ाने की मांग कर चुके हैं। शाम पांच बजे के बाद यहां से लखनऊ जाने के लिए भी साधन नहीं मिलता।
चलती हैं केवल दो ही ट्रेनें
यहां आने वाली ट्रेनों की संख्या भी कम है। यहां सिर्फ दो ट्रेनें ही आती हैं, वह भी पैसेंजर ट्रेनें ही हैं। स्थानीय लोग ट्रेनों की संख्या और रूट विस्तार की मांग भी कर रहे हैं ताकि अधिक से अधिक श्रद्धालु यहां आ सकें और उनका व्यवसाय बढ़े।
सीएम की ओर से घोषित की गईं योजनाएं :

  1. 70 लाख रुपये ललिता देवी मंदिर स्थित ललिता कुंड (पंच प्रयाग) के लिए।
  2. 2.13 करोड़ आरोग्य पार्क के लिए।
  3. 11.12 करोड़ राजघाट रिवर फ्रंट के लिए।
  4. 3.90 करोड़ रुद्रावर्त तीर्थ के लिए।
  5. 2.61 करोड़ चक्रतीर्थ के लिए।
  6. 38.91 लाख स्वागत गेट के लिए।
  7. 94 लाख काशी कुंड तीर्थ का विकास के लिए।
  8. 7.90 करोड़ देवदेवेश्वर तीर्थ स्नान घाट के लिए जो बन चुका है।
  9. 9.36 करोड़ दधीचि कुंड के लिए।
  10. 1.57 करोड़ पांडव किला के लिए।
  11. 4.45 करोड़ इंटरप्रिटेशन सेंटर के लिए
  12. 1.36 करोड़ सीताकुंड के लिए।
  13. 18.63 करोड़ नैमिष-मिश्रिख की गलियों के विकास के लिए।
  14. 25.76 करोड़ 84 कोसी परिक्रमा के विकास के लिए।