गर्मी ने बढ़ाया बिजली संकट, अघोषित कटौती से परेशानी

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सीतापुर। गर्मी का प्रकोप बढ़ने के साथ ही शहर में बिजली संकट भी गहराने लगा है। बिजली की आंख मिचौली के कारण शहरी से लेकर ग्रामीण इलाकों तक के उपभोक्ता परेशानहाल हैं। अघोषित बिजली कटौती के चलते गांवों में बमुश्किल छह से आठ घंटे तो तहसील मुख्यालयों पर 14 घंटे ही बिजली मिल पा रही है। जबकि शहरी इलाकों में 24 घंटे के दावे के इतर 15 से 17 घंटे ही बिजली आपूर्ति हो रही है। इस दौरान भी दिन भर ट्रिपिंग की दिक्कत से लोगों को जूझना पड़ता है।धूप की बढ़ती तपिश से ऊपर चढ़ते पारा के कारण बढ़ी बिजली की मांग के कारण हर दिन होने वाली खपत भी 225 से बढ़कर 255 मेगावाट तक पहुंच गई है। एक सप्ताह के दौरान बढ़ी 30 मेगावाट की जरूरत को पूरा करने में पॉवर कॉर्पोरेशन को पसीना छूट रहा है। इसे पूरा करने के लिए बिजली विभाग को अघोषित कटौती भी करना पड़ रही है।फाल्ट के चलते मंगलवार को शहर क्षेत्र से जुड़े भवानीपुर, पुराना सीतापुर व इमलिया सुल्तानपुर फीडर से जुड़े मोहल्लों में सुबह 10 से दोपहर दो बजे तक बिजली गुल रही। बमुश्किल शुरू हुई बिजली सप्लाई के बाद भी दिनभर ट्रिपिंग का सिलसिला लोगों को परेशान करता रहा। हालांकि बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता विद्युत पारेषण खंड डीसी दीक्षित शहर में बिजली की सप्लाई में किसी भी तरह की कमी से इंकार करते हैं। उनका कहना है कि बढ़ी हुई डिमांड को आसानी से पूरा किया जा रहा है।

नहीं चल पा रहे है ट्यूबवेल
ग्रामीण इलाकों में बिजली की अघोषित कटौती से सबसे ज्यादा परेशानी किसानों को हो रही है। ट्यूबवेल न चलने से खेतों की सिंचाई भी नहीं हो पा रही है। किसान कृष्ण कुमार बताते है कि सिंचाई न हो पाने से गन्ने की फसल सूख रही है। 24 घंटे में मुश्किल से आठ से 10 घंटे बिजली आती है। इस दौरान एक दो बीघा फसल की सिंचाई की तो अगले दिन तेज धूप के चलते फिर से पानी की जरूरत पड़ने लगती है। इससे फसलें सूख रही है।गर्मियों में बिजली की मांग बढ़ने से सप्लाई लाइनों पर लोड बढ़ जाता है। सप्लाई लाइनों के टूटने की घटना से ही बिजली की आवाजाही परेशान करती है। इसके साथ ही ट्रांसफॉर्मर जलने की बढ़ती शिकायतों के कारण भी सप्लाई लाइन को बंद कर कटौती करना पड़ती है।
नंदलाल, अधीक्षण अभियंता