जिले में 10 हजार से अधिक है सिकलसेल पॉजिटिव मरीज

in #sickle7 months ago

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  • जिले में 10 हजार से अधिक है सिकलसेल पॉजिटिव मरीज
  • दो लाख 33 हजार 306 लोगों की हो चुकी है स्क्रीनिंग

मंडला. सिकलसेल उन्मूलन के लिए जिला सहित प्रदेश में अभियान चलाया जा रहा है। राज्यपाल मंगू भाई पटेल के आह्वान पर अब विवाह से पहले जन्म कुंडली मिलाने के साथ ब्लड कुंडली मिलाने पर जोर दिया जा रहा है। क्योंकि कई केस ऐसे है जिसमें माता-पिता ही बच्चे में बीमारी का कोरियर बने है। इसके लिए सिकलसेल-एनिमिया की जांच के साथ ही कार्ड भी बनाए जा रहे है। जिसे शादी से पहले मिलान करने के लिए समझाइश दी जा रही है। अब तक जिले में दो लाख 33 हजार 306 लोगों की स्क्रीनिंग की गई है। जिसमें 09 हजार 211 एस एवं एक हजार 89 एसएस मरीज पाए गए हैं। इस प्रकार जिले में कुल पॉजिटिव की संख्या 10 हजार 300 सिकलसेल पॉजिटिव सामने आ जा चुके हैं। जिनको उपचार दिया जा रहा है।

बता दे कि सिकलसेल अनुवांशिक बीमारी है जो माता या पिता से बच्चे में पहुंचती है। माता और पिता दोनों ही यदि सिकलसेल, एनीमिया से ग्रसित है तो बच्चे के इस बीमारी से ग्रसित होने के चांस शत-प्रतिशत होते है। अस्पतालों में सिकलसेल, एनीमिया के मरीजों में करीब 10 फीसदी लोग अनुवांशिक बीमारियों के पीडि़त हैं, ऐसे में ब्लड कुंडली मिलाने पर ऐसी बीमारियों पर रोक लग सकती है। सीएमएचओ केसी सरोते ने बताया कि जिले में शिविर लगाकर भी मरीजों की जांच की जा रही है। जांच के बाद कार्ड बनाकर दिया जा रहा है। आदिवासी अंचल सहित पूरे जिले में यह कार्ड बनवा सकते हैं।

  • लिया जा रहा सहयोग:
    अभियान के नोडल अधिकारी डॉ पीएल कोरी ने बताया कि सिकल सेल मुख्यत दो प्रकार की होती है। एक रोगी और एक रोग वाहक। सिकल सेल रोगी में दोनों जीन खराब होते है। जबकि रोग वाहक सिकल सेल में सिर्फ एक जीन में ही खराबी होती है। यदि माता-पिता दोनों सिकल सेल रोगी है, तो उनके सभी बच्चे सिकल सेल रोगी पैदा होगे। वहीं माता-पिता में से किसी एक से सिकल सेल और दूसरे से नार्मल जीन मिलता है। इन्हें सिकल सेल ट्रेट या वाहक कहते हैं। इसमें बीमारी का बिना जांच के पता नहीं चल पाता। इसमें परेशानी नहीं होती। इसके लिए अब ग्रामीण क्षेत्र में सघल अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। जिसके लिए समाजसेवी संगठन व समाज का भी सहयोग लिया जा रहा है।

  • आरबीसी में बदलाव के कारण सिकल सेल :
    डॉ. कोरी ने बताया कि यह हीमोग्लोबिनोपैथी हीमोग्लोबन से संबंधित विकार है। ब्लड में तीन प्रकार की सेल होती है। रेड ब्लड सेल (आरबीसी), वाइट ब्लड सेल (डब्ल्यूबीसी) और प्लेटलेट्स। आरबीसी में हीमोग्लोबिन होता है। हीमोग्लोबिन शरीर में ऑक्सीजन का परिवहन करता है। आरबीसी में थैलेसीमिया, हीमोग्लोबिन-ई, सिकल सेल समेत कई बीमारियां होती है। आरबीसी का आकर गोल होता है। सिकल सेल की बीमारी के कारण आरबीसी का आकर हंसिए की तरह हो जाता है। जिससे सिकल सेल जल्दी नष्ट हो जाते है। आरबीसी की कमी से शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। इसके अलावा सिकल सेल थक्का बनाती है। जिससे शरीर में खून का प्रवाह रुकने लगता है। इससे गंभीर दर्द, इंफेक्शन, सीने में दर्द और स्ट्रोक जैसी बीमारियां होने का खतरा बना रहता है।

  • अब पांच मिनिट में मिलेगी रिपोर्ट :
    सीएचओ डॉ पीएल कोरी ने बताया कि सिकलसेल को रोकने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। सिकलसेल करियर से करियर की शादी होने पर बच्चे के सिकलसेल से ग्रसित होने की संभावना बढ़ जाती है। शासन द्वारा जांच के बाद कार्ड बनाकर दिए जा रहे है। सभी लोग जांच करवा सकते है और कार्ड बनवा सकते है। इस कार्ड के मिलान करने से सिकलसेल करियर का करियर से विवाह करने से बचा जा सकता है। इस बीमारी से बचाव का एकमात्र यहीं उपाय है। जांच के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। जिले में प्वाईंट ऑफ केयर किट के माध्यम से जांच शुरू की जा रही है। जिससे 05 मिनट में ही रिपोर्ट सामने आ जाएगी।