गजेन्द्र को अपने बल और परिवारजनों पर बहुत गर्व था -धीरज कृष्ण शास्त्री

in #shrimadh2 years ago

IMG-20221121-WA0214.jpgगजेन्द्र को अपने बल और परिवारजनों पर बहुत गर्व था -धीरज कृष्ण शास्त्री

गोरखपुर सहजनवां
हाथियों के राजा गजेंद्र को अपने बल और परिवारजनों पर बहुत गर्व था। स्नान करते समय ग्राह के द्वारा जब उसके प्राण संकट में पड़े ,तो वह सहायता के लिए सभी परिवार वालों को पुकारने लगा । सहायता करने के बजाय सभी ने मुंह फेर लिया । अंत में वह दीन भाव से भगवान को पुकारा, तो उसका कल्याण हो गया।
उक्त- बातें वृंदावन धाम से पधारे धीरज कृष्ण शास्त्री ने कही। वह विकासखंड पाली के ग्राम पनिका में श्रीमद् भागवत कथा व्यास पीठ के छ्ठे दिन श्रद्धालुओं को कथा रसपान करा रहे थे। कथा विस्तार करते हुए उन्होंने कहा कि-हाथियों के राजा गजेंद्र की सौ पत्नियां थीं और ढ़ेर सारे बच्चे थे । धूप की गर्मी से व्याकुल एक दिन वह सरोवर में स्नान करने गया, तो बल के मद में पूरे सरोवर को मथने लगा। उसमें बैठा ग्राह ने उसके पैर को पकड़कर गहरे पानी में खींचने लगा।
कथा व्यास ने कहा कि- ग्राह और गजेंद्र का द्वंद सैकड़ों वर्ष चलता रहा। अंत में गजेंद्र जब हारने लगा तो अपने पत्नियों और बच्चों को पुकारा और कहा मुझे पानी से बाहर खींच लो, मेरे प्राण संकट में पड़ गए हैं।
शास्त्री ने कहा कि- सारी पत्नियां और बच्चे मिलकर कुछ दिनों तक तो संघर्ष किया, परंतु सफलता मिलता न देखकर अंत में सभी ने साथ छोड़ दिया और घर को लौटने लगे । बहुत देर तक दीन भाव से सभी को पुकारता रहा, परंतु किसी ने उसकी तरफ देखा नहीं। संसार की सभी आशाएं चूर- चूर होकर बिखर गई। प्राणान्त के आखिरी क्षण आर्त भाव से भगवान को पुकारने लगा ।
तत्क्षण भगवान प्रकट होकर उसके प्राणों की रक्षा की और उसका उद्धार किया। उक्त-अवसर पर मुख्य यजमान उदय नाथ पांडेय, जगदीश पांडेय, छोटे पांडेय, संतोष पांडेय, हरिराम, जितेंद्र गुप्ता, अर्जुन गुप्ता, अनिल चौरसिया, विनोद कुमार पांडेय, सत्य प्रकाश पांडेय, पूर्व प्रधान नंदलाल चौरसिया, प्रेमचंद गौड़, धर्मदेव गौड़, पोटर, जयराम,मिंतरा ,राजू पाण्डेय, अंगद,ज्वाला पाण्डेय समेत कई लोग मौजूद थे।