क्यो है वृक्षारोपण जरूरी जाने . जानकार हो जाएंगे हैरान

in #shravan2 years ago

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भारत में 50% लोगों के पास पीने का साफ पानी नहीं है जिसके चलते 2 साल में करीबन 2लाख लोगों की मौत हो जाती है 10 साल में हालात बद से बदतर हो जाएंगे.जब साफ पानी को छोड़िए करीबन 40% आबादी के पास पानी ही नहीं बचेगा पर यह सब इसलिए हो रहा है की 80% जनसंख्या जो है खेती के लिए एवं पीने के लिए ग्राउंड वाटर पर निर्भर है. ग्राउंड वाटर की खपत इस प्रकार से हो रही है कि 2007 से 2017 के बीच उसका स्तर 60% नीचे चला गया है. अगर देखा जाए तो यह समस्या हमने आपने खड़ी की है सरकार ने नहीं? फिर भी सरकार के पास इसका समाधान है इससे ना कि जलस्तर ऊपर आएगा बल्कि प्रदूषण भी कम हो जाएगा. इसका सीधा समाधान है कि पेड़ लगाएं जंगल बनाएं गौरतलब है कि पेड़ों की वजह से बारिश के पानी का बहाव धीमा हो जाएगा और बारिश के पानी को मौका मिल जाता है कि जमीन के अंदर जाए जब जमीन में पानी जाता है तो जल स्तर ऊपर आता है. लेकिन अगर पेड़ पौधे जंगल नहीं लगाए गए तो कल्पना कीजिए कि आने वाले समय में अगर पीने को पानी नहीं और सांस लेने को हवा नहीं तो हमारे बच्चे स्कूल जाते वक्त पीठ पर बैग नहीं ऑक्सीजन सिलेंडर लादकर जाएंगे. विडंबना की बात है कि कहने को तो पूरे भारत में वृक्षारोपण का कार्य किया जाता है लेकिन हकीकत यह है कि वृक्षारोपण के नाम पर अधिकारी कर्मचारी नेता मंत्री तिजोरी भरने का काम करते हैं. ऐसा एक जगह पर नहीं तमाम जगहों से यह बातें सामने आई है. उदाहरण के लिए आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे जनपद बाराबंकी में एक ही जमीन पर हर साल वृक्षारोपण का कार्य किया जाता है. बाकायदा पैसे भी निकाले जाते हैं. लेकिन आज तक लगाए गए पेड़ तैयार तक नहीं हुए जो तैयार भी हुए हैं उन्हें वन विभाग के अधिकारी ही मिलकर बेच रहे हैं. निजी जमीनों में लगे पेड़ों को कटाने में उत्तर प्रदेश का वन विभाग सबसे आगे हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार एक सर्वे के अनुसार ज्ञात हुआ कि हरे भरे पेड़ों का भी परमिशन चंद्र पैसे फेंक कर परमिशन मिल जाता है. बाकायदा वन विभाग उद्यान विभाग भी बहुत ही आसानी के साथ हरे भरे भारी-भरकम पेड़ों को रोग ग्रस्त घोषित कर उन्हें कटवा देता है. कहने को तो सरकार के खाते में राजस्व के रूप में एक पेड़ का 200 से ₹400 जाता है लेकिन हकीकत में परमिशन देने के नाम पर बाराबंकी के वनरक्षक वन दरोगा वन क्षेत्राधिकारी यहां तक कि जिले के अधिकारी भी परमिशन देने के नाम पर 4 हज़ार से 10 हज़ार ₹12 हज़ार तक लेते हैं. बाकायदा पेड़ों को कटवाते हैं। अब ऐसे में एक कि बड़ा सवाल है कि कैसे पीने को साफ पानी मिलेगा कैसे सांस लेने के लिए शुद्ध हवा? अगर उच्च अधिकारी इस लेख को पढ़कर गंभीरता से नहीं लिया तो आने वाले समय में कहीं ना कहीं बड़ी समस्या का सामना करना पड़ेगा..

2021 में भी बाराबंकी के कई जगहों पर लगाएं गए थे 5495241पेड़ अब नही है मौजूद:-

बता दे कि 2021 में वन विभाग 2324182 पौधे: शासन ने वर्ष 2021 में पौधरोपण का लक्ष्य निर्धारित कर दिया था । जिले में 2021 में 5495241 पौधे लागए गए थे ।गौरतलब है कि सबसे बड़ा लक्ष्य वन विभाग बाराबंकी को दिया गया था। वन विभाग के द्वारा 2324182 पौधे लगाए गए थे। ग्राम विकास विभाग को 1766280, कृषि विभाग को 338580, पर्यावरण विभाग को 258242, राजस्व व पंचायतीराज विभाग को करीब दो-दो लाख व उद्यान विभाग को 222828 पौधे लगाने करने का लक्ष्य था , स्कूल कालेज ,सड़कों के किनारे, बंजर भूमि ,ग्राम पंचायतों कि खाली पड़ी जमीनों पर व वन विभाग की सुरक्षित जमीनों पर यह पौधा रोपण किए गए थे लेकिन हकीकत यह है कि जितने पेड़ लगाए गए हैं उनमें से 20% पेड़ भी आज जीवित नहीं है यह कहा जा सकता है कि केवल खानापूर्ति की गई थी।।

बारिश के मौसम में बाराबंकी में फिर लगेंगे 64 लाख से अधिक पौधे:-

जानकारी के लिए बता दें कि बाराबंकी के प्रभागीय वन अधिकारी मोहम्मद रुस्तम से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जहां भी मैं तैनात रहा हूं मेरे द्वारा पूरी ईमानदारी से काम किया गया है. अधिकारी कर्मचारियों की शिकायत मिलने पर कार्यवाही भी करता हूं. गौरतलब है कि हमारे संवाददाता श्रवण चौहान से बातचीत करते हुए प्रभागीय वन अधिकारी मोहम्मद रुस्तम ने बताया कि 2022 बारिश के महीने में पूरे जनपद 64 लाख 11 हज़ार 118 पौधे लगना है जिसमें वन विभाग का लक्ष्य है कि 27 लाख 11 हज़ार 545 पेड़ लगे इन पेड़ों में पीपल बरगद पकड़िया कदम गूलर सागवान शीशम समेत अन्य पर शामिल है। प्रभागीय वन अधिकारी बाराबंकी अभी जल्द ही आए हैं यह देखना बड़ी बात है कि यह पेड़ों की देखभाल सही से कर पाते हैं कि नहीं?