लोक अदालत में 34042 मामलों का निस्तारण

बलरामपुर 15 सितंबर : (डेस्क) शनिवार को आयोजित लोक अदालत में 34,042 वादों का निस्तारण किया गया।लोक अदालत में कुल 3,03,150 रुपए का जुर्माना वसूला गया।लोक अदालत के माध्यम से बड़ी संख्या में मामलों का त्वरित समाधान किया गया।

1000050705.jpg

बलरामपुर में, दीवानी न्यायालय परिसर में शनिवार को एक लोक अदालत का आयोजन किया गया, जिसमें 34,042 वादों का निस्तारण किया गया। यह आयोजन न्यायिक प्रक्रिया को सरल और त्वरित बनाने के उद्देश्य से किया गया था, जिससे स्थानीय निवासियों को न्याय प्राप्त करने में सुविधा हो।

लोक अदालत का उद्देश्य लंबित मामलों का त्वरित समाधान करना है। इस आयोजन में विभिन्न प्रकार के मामलों का निस्तारण किया गया, जिसमें दीवानी और आपराधिक मामले शामिल थे। लोक अदालत में मामलों का निपटारा करने के लिए कोई अदालत शुल्क नहीं लिया जाता है, जिससे आम लोगों के लिए न्याय की प्रक्रिया सस्ती और सुलभ हो जाती है।

इस लोक अदालत में कुल 3,03,150 रुपए का जुर्माना वसूला गया, जो कि विभिन्न मामलों में निर्धारित किया गया था। यह राशि उन मामलों से संबंधित है, जिनमें न्यायालय ने निर्णय लिया था। जुर्माने की यह राशि न केवल न्यायालय के लिए एक आय का स्रोत है, बल्कि यह समाज में कानून के प्रति जागरूकता बढ़ाने का भी कार्य करती है।

लोक अदालत का आयोजन न्यायिक अधिकारियों और वकीलों के सहयोग से किया गया था, जो मामलों का निपटारा करने में मदद कर रहे थे। इस प्रक्रिया में, न्यायाधीशों ने दोनों पक्षों को सुनकर मामले के तथ्यों के आधार पर निर्णय लिया।

इस प्रकार के आयोजनों से यह सुनिश्चित होता है कि न्यायालय की कार्यवाही में तेजी आए और लंबित मामलों की संख्या में कमी आए। बलरामपुर में आयोजित लोक अदालत ने स्थानीय निवासियों को एक अवसर प्रदान किया, जिससे वे अपने मामलों का निपटारा त्वरित रूप से कर सकें।

इस आयोजन के माध्यम से, न्यायालय ने यह संदेश दिया कि न्याय की प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाया जा सकता है। लोक अदालतों का यह प्रयास न्यायिक प्रणाली में सुधार लाने और आम जनता के लिए न्याय की पहुंच को आसान बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

इस आयोजन से यह स्पष्ट होता है कि न्यायालय केवल विवादों का समाधान नहीं करते, बल्कि समाज में कानून और व्यवस्था को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बलरामपुर में आयोजित लोक अदालत ने इस दिशा में एक सकारात्मक पहल की है।