बैनगंगा नदी तट स्थित सत्संग भवन में जारी सार्वजनिक भागवत कथा

in #seoni2 years ago

IMG-20220821-WA0039.jpg

नगर के बैनगंगा नदी तट से लगे प्राचीन शिवमंदिर में आयोजित सार्वजनिक पार्थिव शिवलिंग निर्माण, पूजन अभिषेक एवं श्रीमदभागवत कथा के दिव्य आयोजन में रिमझिम बरसते पानी में भी भक्तो की अच्छी खासी भीड़ उमड़ रही हैं।
कथा के दौरान कथा व्यास ओमशंकर महाराज ने कहा कि यदि व्यक्ति में ईश्वर के प्रति दृढ संकल्प एवं विश्वास हो तो परिस्थिति कितनी भी प्रतिकूल क्यों न हो यदि दृढ़ विश्वास हो तो प्रतिकूलता भी अनुकूलता में परिणित हो जाती है। जब ईश्वर की कृपा होती है तो गूंगे भी बोलने लगते है, लंगड़े भी पहाड़ चढ़ने लगते हैं ,तथा जहर भी अमृत के तुल्य हो जाता है लेकिन ईश्वर के प्रति सच्ची श्रद्धा विश्वास होना अति आवश्यक है। क्योंकि भगवान शंकर विश्वास स्वरूप है एवं मां भगवती पार्वती श्रद्धा रूपी है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को संसार में रहकर भी भौतिक संसार से अधिक मोह एवं आशक्ति नहीं रखनी चाहिए,आसक्ति का उदाहरण देकर उन्होंने बताया कि भरत जैसे महान संत को भी हिरन के मोह में फँसकर करके पुनर्जन्म लेना पडा।मनुष्य को कमल के समान रहना चाहिए जिस प्रकार कमल कीचड़ में रह करके भी सुंदर पुष्प ऊपर खिलता है। इसी प्रकार मनुष्य को भी संसार में रहते हुए ईश्वर का भजन,कीर्तन स्मरण, पूजन, वँदन अवश्य करते रहना चाहिए,क्योंकि ईश्वर का भजन करने की कोई उम्र नहीं है बचपन में ही धुर्व एवं प्रहलाद ने ईश्वर को प्राप्त किया था ,क्योंकि जीवन का कोई भरोसा नहीं है यह नश्वर है आवश्यक नहीं है कि आपको ईश्वर भक्ति के लिए कोई अलग से समय प्राप्त हो ।अत:बाल अवस्था से ही माता-पिता को अपने बच्चों में ऐसे संस्कार देना चाहिए कि वह ईश्वर सत्ता को समझें एवं पूजन अर्चन करें जिससे वे संस्कारवान बन सके।
IMG-20220822-WA0016.jpg
इस प्रकार श्रीमदभागवत कथा में कथा व्यास पंडित ओमशंकर कृष्ण रसिक ने भगवान राम की कथा पर संक्षिप्त प्रकाश डालते हुए श्रीकृष्ण के जन्म की कथा विस्तार से कही जिसमें सुंदर झाँकी आकर्षण का केन्द्र रही तत्पश्चात बधाई बाँटी गई एवं उत्साह मनाया गया ,एवं पंचम् दिवस में भगवान कृष्ण की बाल लीला, गोवर्धन पूजा एवं रूकमणी जी के विवाह की कथा का वर्णन करते हुए बताया कि कंस के यहां कर स्वरूप जाने वाले दूध दही माखन को रोकने के लिए विभिन्न प्रकार का खेल खेलते है जैसे माखन चोरी करना, बछडो को छोड देना यहां तक कि स्वयं को बछडो का स्वरूप बनाकर कंस के यहां जाने वाले दूध दही माखन को रोकने का प्रयास किया और सफल रहे महाराज जी ने गोवर्धन पूजा के महत्व के बारे बताया कि बृजवासी पहले इंद्र देव की पूजा किया करते थे ताकि अच्छी वारिस हो भगवान कृष्ण ने कहा कि गोवर्धन भगवान की पूजा अर्चना करे।
उक्त कथा के दौरान नगर के भगवत प्रेमी बलराम सोनी ,पं जयप्रकाशनारायण पाठक राजकुमार अग्रवाल,अनुराग साहू,अनिल पाँडे,देवीप्रसाद साहू,महेश साहू,मदन कोष्टा,भगवानदास सोनी,प्रदीप साहू,आशीष नामदेव ,नारायण सोनी ,दयाराम साहू,ठा.विकास सिंह सहित अनेक भक्तों ने व्यास पूजन कर भागवत जी की आरती में सम्मिलित हुए।
ज्ञात हौ कि उक्त कार्यक्रम सार्वजनिक रुप से 18अगस्त से 24 अगस्त तक संचालित है ।अत:सभी भगवत्प्रेमियों से आग्रह है कि प्रात:9बजे 11 तक शिव पूजन अभिषेक एवं 3से 6 बजे तक संगीतमयी भागवत कथा प्रवाहित होती है,जिसमे सभी उपस्थित होकर धर्म लाभ अर्जित करें।