धरती के अंदर मौजूद है हीरे की फैक्ट्री
हर पल हमारे पैरों के नीचे ऐसे बन रहा है डायमंड
एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने लैब में हीरे से जुड़ा एक रिसर्च किया है। शोधकर्ताओं ने धरती के कोर-मेंटल के बीच हीरे बनने पर शोध किया। उन्होंने हाई प्रेशर और गर्मी में हीरे को बनते हुए देखा है। शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर यह नियम पृथ्वी के अंदर भी चलता होगा तो वहां हीरे बनते होंगे।
पृथ्वी के अंदर से ही हीरे निकलते हैं। लेकिन वैज्ञानिकों का अनुमान है कि पृथ्वी की कई सतहों में से एक पिघली हुई मेटल कोर और मेंटल के बीच एक 'हीरे की फैक्ट्री' है, जहां पर दबाव के चलते हीरे बन रहे हैं। लैब में किए गए एक प्रयोग में पाया गया है कि अधिक तापमान और दबाव में लोहा, कार्बन और पानी का संयोजन कोर-मेंटल के बीच में हीरा बना सकते हैं। ये तीनों चीजें कोर-मेंटल के बीच मिलती हैं और अगर ऐसी ही प्रक्रिया पृथ्वी के अंदर भी होती है तो वहां हीरे बन रहे होंगे। अगर ऐसा होता है तो शायद इससे कई सवालों के जवाब मिल जाएं, जैसे कि मेंटल में वैज्ञानिकों के अनुमान से अपेक्षाकृत अधिक कार्बन क्यों है?
ये निष्कर्ष कोर-मेंटल की सीमा पर अजीब संरचनाओं को समझने में भी मदद कर सकता है, जहां भूकंप की लहरें धीमी हो जाती हैं। एरिज़ोना स्टेट यूनिवर्सिटी के एक भू-वैज्ञानिक और स्टडी के प्रमुख लेखक सांग-हेन शिम ने कहा, 'जहां कोर-मेंटल मिलते हैं वहां पिघला लोहा और पत्थर आपस में रगड़ रहे होते हैं। लेकिन यहां पर प्रेशर भी बहुत ज्यादा होता है, जिसके कारण एक अनोखी केमिस्ट्री देखने को मिलती है।'
कैसे किया टेस्ट
इस आइडिया को टेस्ट करने के लिए शोधकर्ताओं ने कोर-मेंटल बाउंड्री में मिलने वाली चीजों को एक साथ लैब में लाए। इसके बाद उस पर लगभग 140 गीगापास्कल तक का दबाव लगाया। ये दबाव समुद्र तल पर लगने वाले दबाव का लगभग 1.4 अरब गुना है। इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने 3,776 डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया। शिम ने कहा कि हम लगातार मॉनिटर करते रहे कि सैंपल को गर्म करने पर आखिर क्या होगा।
कैसे बना हीरा
शिम ने कहा, 'हमने पत्थर और लिक्विड के बीच में हीरा बनते देखा।' उन्होंने आगे कहा कि यहां पानी का व्यवहार धरती से अलग था। हाई प्रेशर के कारण हाइड्रोजन और ऑक्सीजन अलग हो गए। कोर का ज्यादातर हिस्सा पिघला लोहा है। हाइड्रोजन लोहे की ओर बढ़ने लगता है और कोर में मिल जाता है। जबकि ऑक्सीजन मेंटल में ही रहता है। शिम ने आगे बताया कि इस प्रक्रिया के बाद ऐसा लगता है जैसे हाइड्रोजन अन्य हल्के तत्वों को कोर से धकेल रहा है। इसमें कार्बन भी शामिल है। इसके बाद कार्बन कोर से निकल कर मेंटल की ओर बढ़ता है। लेकिन दोनों के बीच के दबाव में फंस जाता है और फिर हीरा बन जाता है।
Nice job
thnax sir ji