क्या चांद पर पहला कदम रखने वाले नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने कबूला था इस्लाम?

in #science2 years ago

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चांद पर अमेरिका के नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने पहली बार कदम 20 जुलाई 1969 को रखा था. दुनियाभर में नील की तारीफ हुई और एक बहस शुरू हुई, वो थी नील के इस्लाम कबूल करने की. आज नील की पुण्यतिथि है, इस मौके पर जानिए, उस बात में कितनी सच्चाई थी.

चांद पर अमेरिका के नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने पहली बार कदम 20 जुलाई 1969 को रखा था. यह ऐसा मौका था जो इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा गया. दुनियाभर में नील की तारीफ हुई. चांद से लौटने के बाद जब दुनियाभर के लोग उन्हें बधाई दे रहे थे तो कुछ ऐसे भी थे जो उनकी उपलब्धि पर सवाल उठा रहे थे. बात यहीं नहीं थमी. कहा गया कि नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने इस्लाम कबूल कर लिया है क्योंकि चांद पर उन्हें अजान सुनाई दी थी.

इस बात में कितनी सच्चाई थी और कितना झूठ, इसको लेकर दुनियाभर में काफी बातें हुईं. यहां तक की नील की आत्मकथा में इस्लाम का जिक्र किया गया. आज नील आत्मस्ट्रॉन्ग की पुण्यतिथि है, इस मौके पर जानते हैं उस बात में कितनी सच्चाई थी और कितना झूठ.

कब और कैसे शुरू हुई नील और इस्लाम पर बहस?
नील और इस्लाम को लेकर चर्चा 1980 में शुरू हुई. बहस करने वाले वालों में तर्क दिए कि अपोलो-11 के क्रू सदस्यों ने चांद पर एक खास तरह की आवाज सुनी थी, लेकिन वो उस आवाज का मतलब नहीं समझ पाए थे. कुछ समय बाद जब नील इजिप्ट पहुंचे तो उन्हें वहां पर भी वैसी ही आवाज सुनाई दी. जब उन्होंने लोगों से उस आवाज के बारे में जानकारी ली तो पता चला वो अजान थी. ऐसा सुनने के बाद नील में इस्लाम कबूत कर दिया. ऐसा कई रिपोर्ट्स में कहा गया.

इस्लाम से जुड़ा पूरा सच क्या है, अब इसे जान लीजिए
चांद की जिस घटना का जिक्र करते हुए उसे इस्लाम से जोड़ा गया उसका पूरा सच कुछ और था. दरअसल, आर्मस्ट्रॉन्ग दूसरे अंतरिक्षयात्री एडविन आल्ड्रिन के साथ चांद पर गए. ये नील के पहुंचने के 19 मिनट पर चांद पर उतरे थे. सभी ने चांद पर कुछ घंटे बिताए थे. एडविन ने गाइडपोस्ट्स मैगज़ीन को दिए अपने इंटरव्यू में उस पूरी घटना का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था कि जब मैं चांद की सतह पर उतरा था तो वहां सन्नाटा था. कोई आवाज नहीं थी. वहां पहले मैंने टेस्टामेंट का पाठ किया और फिर चर्च से लाई गई वाइन को पिया था.

अपने इंटरव्यू में उन्होंने किसी आवाज का जिक्र नहीं किया. एक अफवाह फैलने पर बिना सत्यता जांचे मलेशिया, इंडोनेशिया समेत कई देशों में नील के इस्लाम कबूलने की झूठी खबरें फैलीं. अफवाहें फैलने पर आर्मस्ट्रॉन्ग ने एशियन रिसर्च सेंटर इंटरनेशल क्रिश्चियन फेलोशिप के डायरेक्टर फिल पार्शल को पत्र लिखकर सफाई दी थी. उन्होंने साफतौर पर लिखा था कि इस्लाम को कबूल करने और चांद पर आवाज सुनाई देने की बात झूठी है.

इतना ही नहीं, इस्लाम को लेकर इतना दुष्प्रचार हुआ कि नील को अपनी जीवनी में भी इस बात का जिक्र करना पड़ा. उनकी जीवनी में लिखा गया कि इस्लाम कबूल करने के लेकर कई बार अफवाहें फैलाई गईं.