गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitationa)

in #santkbirnagar2 years ago

images (13).jpegimages (12).jpegगुरुत्वाकर्षण बल (Gravitationa): कोई भी दो कण एक-दूसरे को बल लगाकर अपनी ओर आकर्षित करते हैं | इस आकर्षण बल को गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं । इसी कारण पृथ्वी किसी भी वस्तु को अपनी ओर खींचती है । पृथ्वी द्वारा लगाये जाने वाले गुरुत्वाकर्षण बल को गुरुत्व बल कहते हैं ।

अत: “किन्हीं दो पिण्डों के बीच कार्य करने वाला यह आकर्षण बल उन पिण्डों के द्र॒व्यमान के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनके बीच दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है” अर्थात्‌ जड़त्व कहते हैं | गति- विषयक न्यूटन के प्रथम नियम को जड़त्व का नियम भी कहते हैं ।

➤ जड़त्व (Inertia): कोई भी वस्तु अपनी गति की अवस्था एवं विराम अवस्था में बनी रहती है, जब तक कि उस पर कोई बाहरी बल न लगे |
वस्तु के इसी गुण को जड़त्व कहते हैं ।

➤ किसी वस्तु का द्रव्यमान उसके जड़त्व की माप होता है अर्थात्‌ वस्तुओं में जड़त्व का गुण उतना अधिक होता है जितना उसका द्रव्यमान अधिक होगा ।

➤ न्यूटन का दूसरा नियम (Newton's Second Law): “किसी वस्तु के संवेग में परिवर्तन की दर लगाए गए बल के आनुपातिक होता है और यह उसी दिशा में होता है जिसमें बल कार्य करता है ।” न्यूटन की गति का दूसरा नियम बल तथा त्वरण इन्हीं दोनों राशियों को एक-दूसरे के साथ तथा मात्रात्मक विधि से सम्बन्धित होता है ।

➤ यदि बल F न्यूटन (बल या SI मात्रक), द्रव्यमान (m) किलोग्राम तथा त्वरण (a) मीटर प्रति सेकेण्ड (m/s2) , तो द्वितीय नियमानुसार F = ma

➤ न्यूटन का तीसरा नियम (Newton's Third Law): किसी भी क्रिया के लिए ठीक उसके बराबर परन्तु विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है | जैसे-यदि किसी बॉल को फर्श पर मारा जाता है, तो बॉल ऊपर की तरफ उछलती है, जितना बल बॉल द्वारा फर्श पर लगाया जाता है उतना ही बल विपरीत दिशा में फर्श बॉल पर लगाता हैं बॉल का उछाल इसी बल का परिणाम है ।

➤ संवेग (Momentum): द्रव्यमान और वेग के कारण वस्तुओं में जो विशेष गुण उत्पन्न होता है उसे संवेग कहते हैं अर्थात्‌ किसी गतिमान वस्तु का द्रव्यमान तथा वेग के गुणनफल को वस्तु का संवेग कहते हैं | इसका मात्रक किग्रा. x मी./से. या न्यूटन-सेकेण्ड होता है ।

➤ आवेग (Impulse): जब कोई नियत बल Fs किसी वस्तु पर एक निश्चित समय अन्तराल dt के लिए कार्य करता है, तो बल और समय अन्तराल के गुणनफल को उस बल का आवेग कहते हैं ।

➤ आवेग सदिश राशि है इसका SI मात्रक न्यूटन-सेकेण्ड (या किग्रा. मी./ से.) होता हैं ।

➤ संवेग संरक्षण का सिद्धान्त (Law of Conservation of Momentum): जब दो या अधिक वस्तुएँ एक-दूसरे के साथ परस्पर क्रिया करती हैं और कोई भी बाहार बल नहीं लग रहा हो, तो उनका कुल संवेग स्थायी रहता है ।

➤ घर्षण (Friction):
जब कोई वस्तु किसी तल पर फिसलती है, तो उसकी गति की विपरीत दिशा में एक प्रतिरोधी बल कार्य करता है, इस बल को घर्षण बल कहते हैं ।

➤ घर्षण बल तीन प्रकार के होते हैं - 1. स्थैतिक घर्षण बल, 2. सर्पी घर्षण बल तथा 3. लोटनिक घर्षण बल |

➤ जब किसी वस्तु को किसी सतह पर खिसकाने के लिए बल लगाया जाए और यदि वस्तु अपने स्थान से नहीं खिसके तो ऐसी दोनों सतहों के मध्य लगने वाले घर्षण बल को स्थैतिक घर्षण बल कहते हैं ।

➤ जब कोई वस्तु किसी सतह पर सरकती है, तो सरकने वाली वस्तु तथा उस सतह के बीच लगने वाला घर्षण बल सर्पी घर्षण बल कहलाता है ।

➤ जब एक वस्तु किसी दूसरी वस्तु की सतह पर लुढ़कती है, तो इन दोनों वस्तुओं के सतहों के बीच लगने वाला बल लोटनिक घर्षण बल कहलाता है ।

➤ दो सतहों के मध्य लगने वाला घर्षण बल उनके क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करता बल्कि सतहों की प्रकृति पर निर्भर करता है ।

➤गुरुत्वजनित त्वरण g का मान द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता ।

➤ भारी वस्तुओं का त्वरण हल्की वस्तुओं की अपेक्षा अधिक होता है, इसी कारण भारी वस्तु हल्की वस्तु की तुलना में पृथ्वी पर पहले पहुँचेगी ।

➤ g के मान में परिवर्तन (Variation in g): g का मान विषुव॒त रेखा पर न्यूनतम होता है ।

➤ ध्रुवो की ओर बढ़ने पर इसका मान अधिकतम हो जाता है ।

➤ भूमध्य रेखा तथा ध्रुवों पर 6 के मानों का अन्तर केवल 3.4 सेमी./से. 2 है ।

➤ पृथ्वी तल से ऊपर या नीचे जाने पर g” का मान घटता है ।

➤ गुरुत्वानुवर्तन (Geotropism): पृथ्वी में बीजारोपण के समय बीज किसी भी स्थिति में क्यों जड़ें हमेशा नीचे की ओर तथा प्ररोह (नई पत्तियाँ) ऊपर की ओर बढ़ते हैं | इस घटना को गुरुत्वानुवर्तन कहते हैं ।

➤ पलायन वेग (Escape Velocity): किसी वस्तु को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर ले जाने के लिए एवं अन्तरिक्ष में प्रक्षेपित करने के लिए जिस वेग की आवश्यकता होती है उसे पलायन वेग कहते हैं | यह 11.2 किमी. प्रति सेकेण्ड होता है ।

➤ यदि पृथ्वी तल से किसी वस्तु को 11.2 किलोमीटर/सेकेण्ड या इसके अधिक वेग से ऊपर की ओर फेंकते हैं, तो वह वस्तु पृथ्वी तल पर वापस नहीं आएगी

➤ यदि किसी उपग्रह की चाल को 2 गुना (44%) बढ़ा दिया जाए, तो वह उपग्रह अपनी कक्षा को छोड़कर पलायन कर जाएगा ।

➤ बल-युग्म: जब किसी पिण्ड पर बराबर और विपरीत समानान्तर बल कार्य करते हैं, तो ऐसे बलों को बल-युग्म कहते हैं | इन दोनों बलों की क्रिया की दिशा अलग-अलग होनी चाहिए ।

F = [G(m1 x m2)]/r2] यहां G सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक है जिसका मान 6.67 x 10-11न्यूटन - मीटर 2/ किग्रा.2 है ।

➤ गुरुत्वीय त्वरण ( Acceleration dur to Gravity): पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण किसी वस्तु के वेग में प्रति सेकेण्ड होने वाली वृद्धि को गुरुत्वीय त्वरण g कहते हैं

➤ यहां (Me) पृथ्वी का द्रव्यमान तथा Re पृथ्वी की त्रिज्या है | g का प्रामाणिक मान (45° अक्षांश तथा समुद्र तल पर) 9.8 मीटर/सेकेण्ड2 है, इसका एक अन्य मात्रक न्यूटन/ किग्रा. भी है क्योंकि पृथ्वी द्वारा मात्रक द्र॒व्यमान पर आरोपित बल भी g के बराबर होता है |

➤ कार्य (work) - देनिक जीवन में कार्य का अर्थ किसी क्रिया का किया जाना होता है, जैसे- पढ़ना, लिखना, गाड़ी चलाना आदि। परन्तु भौतिकी में कार्य शब्द का विशेष अर्थ है।, अत:
भौतिकी में हम कार्य को निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित करते हैं- कार्य की माप लगाए गए बल तथा बल की दिशा में वस्तु के विस्थापन के गुणनफल के बराबर होती है। अत:, कार्य बल = बल की दिशा में विस्थापन (Work = Force x Displacement Along the Direction)
कार्य = बल x विस्थापन w = F x s.cosθ
➤ कार्य का मात्रक जूल है । इसका (SI) मात्रक न्यूटन मीटर (N.M) होता है, यह एक अदिश राशि है ।