मोहम्मदपुर कठार ऐसा गांव जहां आजादी के 75साल बाद भी शिक्षा की नही जली ज्योती

ऐसा भी एक गांव जहां आजादी 75वर्षों बाद भी नहीं जली शिक्षा की ज्योतीं
-तीन किमी दूर मगहर जाते हैं प्राथमिक शिक्षा के नौनिहाल
-अब तक किसी भी सरकार ने मोहम्मदपुर कठार में प्राथमिक शिक्षा पर नहीं दिया ध्यान
मगहर।संत कबीर नगर जनपद में एक ऐसा भी गांव है।जहां पर आजादी के 75 वर्षों बाद भी गांव के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने के लिए तीन किमी दूर जाना पड़ता है।ग्रामीणों का कहना है कि इस गांव के बच्चे शिक्षित हो इसके लिए किसी भी जनप्रतिनिधि अथवा कोई सरकार ने संज्ञान नहीं लिया।जिसके कारण आज तक मोहम्मदपुर कठार गांव में प्राथमिक विद्यालय की स्थापना नहीं हो सकी है।
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जहां पूरा देश आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में आजादी के अमृत महोत्सव मना रहा है।वहीं खलीलाबाद विकास खण्ड क्षेत्र के ग्राम पंचायत मोहम्मदपुर कठार एक ऐसा गांव है।जहां पर आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी अब तक एक अदद प्राथमिक विद्यालय की स्थापना नहीं हो पाई है।मोहम्मदपुर कठार गांव की जन संख्या लगभग 3000 बताई जाती है।
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ग्राम पंचायत में यादव,मल्लाह,बंजारा,हरिजन,धोबी,लोहार,जायसवाल,अंसारी,पठान आदि जाति के लोग निवास करते हैं।गांव के अनिरूद्ध सागर ने बताया कि गांव में प्राथमिक स्तर की शिक्षा के लिए न कोई सरकारी और न तो प्राइवेट विद्यालय ही है।जहां पर प्राथमिक शिक्षा मिल सके।देश की आजादी के बाद से अब तक विद्यालय की स्थापना नहीं हो पाई है।चकबंदी के दौरान प्राथमिक विद्यालय के भवन निर्माण के लिए भूमि चिन्हित किया जा चुका है।फिर भी प्रशासन में बैठे लोग सुधि नहीं ले रहे हैं।
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पूर्व प्रधान संजय कुमार ने बताया कि मोहम्मदपुर कठार ग्राम पंचायत में दो गांव इस्लामनगर और मोहियुद्दिनपुर शामिल थे।अब मात्र एक ही गांव मोहम्मदपुर कठार ही है।उसके बावजूद भी पूरे गांव के नौनिहाल बच्चों को प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने के लिए लगभग तीन किमी दूर रेलवे लाइन पार कर मगहर कस्बे में जाना पड़ता है।जो जोखिम भरा होता है।गांव के निवासी राधेश्याम यादव ने बताया कि पहले तो प्राथमिक विद्यालय की स्थापना के लिए भूमि उपलब्धता का बहाना करके प्रशासन के जिम्मेदार लोग अपनी जिम्मेदारी से पड़ला झार लेते रहे।अब गांव की चकबंदी हो जाने के बाद प्राथमिक विद्यालय भवन के निर्माण के लिए राजस्व विभाग ने चिन्हित कर दिया है।उसके बाद भी प्राथमिक विद्यालय की स्थापना में शिक्षा विभाग रूचि नहीं ले रहा है।
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ग्राम प्रधान रविन्द्र यादव ने बताया कि प्राथमिक विद्यालय के न होने ग्रामीणों को अपने पल्यों को प्राथमिक स्तर की शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए बाहर ही जाना पड़ता है।जिसमें सबसे बड़ा जोखिम भरा काम छोटे-छोटे बच्चे को पढ़ने के लिए तीन किमी दूर रेलवे लाइन को पार करते हुए मगहर कस्बे में जाना है।जिसके कारण तमाम ऐसे भी अभिभावक हैं जो खतरे के कारण पढ़ाई ही कराने से हिचकते हैं।उन्होंने आगे कहा कि प्राथमिक विद्यालय की स्थापना के लिए राजस्व विभाग ने भूमि को चिन्हित कर दिया है।जिसे शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है।

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