प्रवासी पंछियों को भाती है गोरखपुर-बस्ती मंडल की जलवायु, कई जलाशयों पर लगता है पक्षियों का मेला

Screenshot_2022-05-15-16-32-55-06_a71c66a550bc09ef2792e9ddf4b16f7a.jpgगोरखपुर-बस्ती मंडल की जलवायु दुनिया के तमाम देशों से बेहतर है। यह साबित करते हैं कि वह प्रवासी परिंदे, जो सैकड़ों मील का सफर तय करके यहां पहुंचते हैं।उन्हें अपनी आने वाली पीढ़ी का भविष्य इसी धरा पर सुरक्षित नजर आता है। वो यहां पर सिर्फ वंश वृद्धि करने ही नहीं आते हैं। वो आते हैं तो यहां के इको सिस्टम को दुरुस्त करते हैं। अपनी मौजूदगी से वह यहां के जैव विविधता को समृद्ध करते हैं और फिर अपने-अपने देश लौट जाते हैं।

गोरखपुर जिले में रामगढ़ताल, चिड़ियाघर, परगापुरताल, महराजगंज के सोहगीबरवा, सिद्धार्थनगर का मर्थी-मझौली, संतकबीरनगर की बखिराझील सहित करीब पांच दर्जन ऐसे जलाशय व वेटलैंड हैं, जहां नवंबर व दिसंबर माह से प्रवासी पक्षियों का मेला लगता है। इन जलाशयों में लोगों को रसियन बिल्ड डक, स्पाट बिल्ड डक, हिमालयी गैडवाल, ब्लू थ्रोट, साइबेरियन पीड एवोसेट जैसे पक्षी दिखते हैं। प्रवासी व अप्रवासी पक्षियों की मौजूदगी से यहां का वातावरण लोगों को और भी मनोहारी लगने लगता है। आये-दिन जलाशयों के किनारे लोग इन पक्षियों को देख कर रोमांचित होते हैं।
नवंबर से मार्च तक रहते हैं प्रवासी पक्षी: गोरखपुर-बस्ती मंडल में प्रवासी पक्षियों का आना नवंबर अंतिम सप्ताह से शुरू हो जाता है। मध्य दिसंबर तक वह यहां आते रहते है। फरवरी अंतिम सप्ताह से वह अपने-अपने देश लौटने लगते हैं। मार्च अंतिम सप्ताह तक अधिकांश परिंदे अपने-अपने देश लौट चुके होते हैं। सिर्फ वही यहां रह जाते हैं, जो बीमार होते हैं अथवा पूर्ण रूप से उड़ने में सक्षम नहीं होते हैं। अपवाद स्वरूप कुछ प्रवासी पक्षी अपने आपको यहां की जलवायु में ढाल लेते हैं।

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