सिर पर तकिया-कपड़े डालकर लगा दी आग, JK DG जेल की हत्या, TRF ने ली जिम्मेदारी

Screenshot_2022-10-04-11-30-08-35_a71c66a550bc09ef2792e9ddf4b16f7a.jpgजम्मू-कश्मीर में बीते कुछ दिनों से लगातार आतंकी घटनाएं देखने को मिल रही है. भारतीय सुरक्षाबलों की दहशतगर्दों पर हो रही कार्रवाई से आतंकी समूह बौखलाया हुआ है.
लिहाजा वो लगातार घाटी में असुरक्षा का माहौल पैदा करने का प्रयास कर रहा है. घाटी में आए दिन आंतक का नया ‘खौफनाक’ मंजर देखने को मिल रहा है. अब एक नई घटना में डीजीपी (जेल) हेमंत कुमार लोहिया की हत्या की खबर सामने आई है. लोहिया सोमवार को जम्मू स्थित अपने घर में मृत पाए गए. हत्यारे ने डीजीपी का न सिर्फ गला दबाया, बल्कि कांच की टूटी बोतल से हाथों और पेट पर भी कई बार हमला किया. लोहिया की हत्या की जिम्मेदारी आंतकी संगठन TRF (The Resistance Front) ने ली है.

पुलिस का पूरा शक डीजीपी के घर में रहने वाले नौकर यासिर पर जा रहा है, जो घटना के बाद से फरार चल रहा है. जम्मू जेल के डीजीपी लोहिया का शव उनके घर में मिलने के बाद सनसनी फैल गई है. पुलिस एक ओर जहां इसे हत्या मान रही है, तो वहीं दूसरे एंगल से भी घटना की जांच कर रही है. जम्मू में देर रात पुलिस महकमे में इस खबर के फैलने के बाद हड़कंप मच गया. एडीजीपी मुकेश कुमार ने बताया कि शुरुआती जांच में पता चलता है कि ये मामला हत्या का है. लोहिया के घर में काम करने वाला नौकर लापता बताया जा रहा है. ऐसे में पुलिस को शक है कि एचके लोहिया की हत्या किसी और ने नहीं बल्कि उनके ही नौकर ने की है, जो घर से फरार है.
आतंकी संगठन TRF ने ली घटना की जिम्मेदारी.

शव के साथ बरती गई क्रूरता

सिंह ने कहा, ‘हेमंत कुमार लोहिया का शव संदिग्ध परिस्थितियों में उनके घर से बरामद हुआ. घटनास्थल की शुरुआती जांच से पता चलता है कि यह हत्या का मामला है. जानकारी के मुताबिक, हत्यारे ने शव के साथ बहुत ही क्रूरता बरती है. डीजीपी के लहूलुहान शव से पेट की आंतें बाहर निकली हुई मिलीं हैं. उनके शरीर पर केरोसिन छिड़क कर जलाने की कोशिश भी की गई है. डीजीपी के सिर पर तकिया और कपड़े डालकर ऊपर से आग लगाने का प्रयास भी किया गया.

नौकर पर शक की सुई

सूत्रों का कहना है कि जिस नौकर यासिर पर लोहिया की हत्या का शक है, वो कुछ दिन पहले ही श्रीनगर से जम्मू लौटा था. क्योंकि लोहिया भी श्रीनगर चले गए थे. यहां यासिर उनके साथ हेल्पर के तौर पर रहता था. कुछ दिन पहले जब लोहिया जम्मू आए थे, तो यासिर भी उनके साथ जम्मू वापस आ गया था.