आवाज से भी तीन गुना तेज होगी रफ्तार. नई दिल्ली से अमरीका पहुंचेंगे सिर्फ ढाई घंटे में

Screenshot_2022-10-03-10-49-31-88_a71c66a550bc09ef2792e9ddf4b16f7a.jpgस्पेन के डिजाइनर ऑस्कर विनलास ने एक ऐसा प्लेन तैयार किया है जिसकी स्पीड ध्वनि से भी तीन गुना ज्यादा है। यह एक सुपरसोनिक प्लेन है और इसे कॉनकॉर्ड से कहीं ज्यादा फास्ट और बेहतर करार दिया जा रहा है।
इस प्लेन से लंदन से न्यूयॉर्क तक का साढ़े सात घंटों का सफर बस 80 मिनट का होकर रह जाएगा। यह सुपरसोनिक कॉमर्शियल एयरोप्लेन का भविष्य है। इस नए सुपरसोनिक विमान को डिजाइनर ऑस्कर विनलास ने तैयार किया है। उन्होंने बताया कि यह प्लेन 170 यात्रियों को लेकर उड़ सकता है। यह भविष्य के विमानों की झलक है, जो 2486 मील प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकेंगे।

आकार के मुताबिक नाम सुपरसोनिक

विनलास ऑस्कर ने बताया कि उनके इस नए प्लेन का नाम एयरक्राफ्ट के आकार पर आधारित है। दरअसल, इसका धड़ किसी तेज डंक की तरह नजर आता है, जिसकी नाक काफी बड़ी है। यह धड़ ही हवा के दबाव को नियंत्रित करेगा। उनका मानना है कि इसको बनाना संभव है, लेकिन टेक्नोलॉजी के लिहाज से यह काफी आधुनिक है। साल 2030 तक ऐसे एयरक्राफ्ट बड़े स्तर पर तैयार किए जा सकेंगे।
इसमें मिलेगी नई पीढ़ी के जेट की झलक

विनलास ने बताया कि यह प्लेन आवाज की तीन गुनी स्पीड से चल सकेगा और उसमें 170 यात्री बैठ सकेंगे। माना जा रहा है कि यह प्लेन भविष्य के उन प्लेन्स की झलक है जो 2486 मील प्रति घंटे (अथवा लगभग 4000 किलोमीटर प्रति घंटा) की रफ्तार से उड़ सकेंगे। पेन में दो रैमजेट इंजन और चार अगली पीढ़ी के हाईब्रिड टर्बोजेट्स हैं। इसे बनाने में कोल्ड फ्यूजन न्यूक्लियर रिएक्टर सिस्टम की मदद ली गई है।

कॉनकॉर्ड को भी देगा मात

विश्व के पहले सुपरसोनिक एयरक्राफ्ट कॉनकॉर्ड को फ्रांस और ब्रिटेन ने मिलकर विकसित किया था। इसकी स्पीड लगभग 2179 किलोमीटर प्रति घंटा थी। यह एक जबरदस्त आविष्कार था परन्तु इसके साथ कई समस्याएं भी थी, जैसे यह बहुत ज्यादा ध्वनि प्रूदषण फैलाता था, इसे ऑपरेट करना बहुत मुश्किल था और इसका साइज भी आम विमानों की तुलना में ज्यादा बड़ा था, हालांकि ऑस्कर विनलास द्वारा बनाया गया लेटेस्ट एयरक्राफ्ट कॉनकॉर्ड से भी ज्यादा बड़ा और विशाल है।
इस प्लेन को किसी एयरक्राफ्ट के आकार में डिजाईन किया गया है। इसका धड़ किसी तेज डंक की तरह नजर आता है और इसकी नाक भी काफी बड़ी है। यह धड़ ही हवा को नियंत्रित करता है। माना जा रहा है कि वर्ष 2030 तक ऐसे एयरक्राफ्ट आम बात बन जाएंगे।