शुरू हो गया सबसे बड़ा जियोपॉलिटिकल गेम, दो खेमों में बंटेगी दुनिया, भारत बनेगा नाटो का सदस्य?

Screenshot_2022-05-23-07-14-13-59_a71c66a550bc09ef2792e9ddf4b16f7a.jpgनई दिल्ली, मई 22: यूक्रेन युद्ध के बाद कई खेमों में बंटी दिख रही दुनिया के बाद अब विश्व में अबतक का सबसे बड़ा जियोपॉलिटिकल गेम शुरू हो चुका है और इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ने वाला है।इस जियोपॉलिटिकल गेम के तहत पूरी दुनिया दो खेमों में बंट जाएगी। हम दुनिया के सबसे बड़े जियोपॉलिटिकल गेम की बात इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि कुछ दिन पहले ब्रिटेन की विदेश मंत्री ने ग्लोबल नाटो बनाने की बात कही है और उन्होंने इसका जिक्र इंडो-पैसिफिक के लिए किया है, यानि इंडो-पैसिफिक का जिक्र होते ही पहला चेहरा भारत नजर आता है, तो सवाल ये है, कि क्या भारत ग्लोबल नाटो का सदस्य बनेगा?नाटो में शामिल होने की जिद को लेकर ही रूस ने यूक्रेन पर हमला किया और फिनलैंड और स्वीडन ने पिछले हफ्ते नाटो में शामिल होने के लिए आवेदन भी कर दिया है। लेकिन, ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज़ ट्रस ने ताइवान की मदद करने के लिए एक 'ग्लोबल नाटो' बनाने की बात कहकर पूरी दुनिया की राजनीति को ही गर्म कर दिया है। उन्होंने कहा कि, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन यानि नाटो को भारत-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा को बढ़ावा देने की कोशिश करनी चाहिए। ब्रिटिश विदेश मंत्री ने एक भाषण के दौरान कहा कि, ब्रिटेन "यूरो-अटलांटिक सुरक्षा और इंडो-पैसिफिक सुरक्षा के बीच गलत विकल्प" के खिलाफ है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि, 'मेरा कहने का ये मतलब है, कि नाटो को अब ग्लोबल होना चाहिए, जिसे वैश्विक खतरों के खिलाफ खड़ा होना चाहिए'। उन्होंने ताइवान का जिक्र किया और कहा कि, इंडो-पैसिफिक में शांति के लिए हमारे सहयोगियों ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ काम करने की जरूरत है।

क्या बनाया जाएगा ग्लोबल नाटो?

ब्रिटेन की विदेश मंत्री ने एक तरह से साफ कर दिया है, कि अब एक ग्लोबल नाटो का गठन किया जाएगा। लेकिन, सवाल ये है, कि अगर ग्लोबल नाटो का निर्माण किया जाएगा, तो फिर उसमें किन किन देशों को शामिल किया जाएगा और क्या दुनिया के सभी देशों के शामिल किया जाएगा और अगर ऐसा है, तो फिर ग्लोबल नाटो लड़ेगा किससे? दरअसल, ग्लोबल नाटो के गठन को लेकर यूरोप में तेजी से बातचीत होने लगी है और चीन ने इसको लेकर सख्त प्रतिक्रिया भी दी है। और ग्लोबल नाटो को काउंटर करने के लिए चीन ने एक अलग से सिक्योरिटी ग्रुप बनाने की बात कही है, जो क्वाड के जैसा होगा। यानि, एक तरफ नाटो के देश होंगे, तो दूसरी तरफ चीन का अलग गठबंधन... यानि, दुनिया पूरी तरह से दो हिस्सों में बंट जाएगी।

चीन का नया ग्लोबल सिक्योरिटी प्रपोजल

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक नया वैश्विक सुरक्षा प्रस्ताव लेकर आए हैं जिसमें इंडो-पैसिफिक रणनीति के तर्क के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया, जापान, भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका से जुड़े क्वाड पर भी सवाल उठाया गया है। शी जिनपिंग ने पिछले महीने 21 अप्रैल को चीन में एशिया के वार्षिक सम्मेलन के लिए बोआओ फोरम में एक नई "वैश्विक सुरक्षा पहल" का प्रस्ताव रखा है, जिसमें उन्होंने शीत युद्ध की मानसिकता, वर्चस्ववाद और सत्ता की राजनीतिकरण को ऐसे मुद्दों को काउंटर किया कहा कि, ये "विश्व शांति को खतरे में डालेंगे" और "सुरक्षा चुनौतियों को बढ़ाएंगे"। शी जिनपिंग की इस घोषणा के एक हफ्ते बाद, चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने पीपुल्स डेली में एक लेख लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि, चीन की यह पहल "मानव शांति की कमी को पूरा करने के लिए चीनी ज्ञान का योगदान करती है और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती से निपटने के लिए समाधान प्रदान करती है।" वांग ने कहा कि, "चीन कभी भी आधिपत्य का दावा नहीं करेगा, विस्तार या प्रभाव के क्षेत्रों की तलाश नहीं करेगा और न ही हथियारों की दौड़ में शामिल होगा।" लेकिन, क्या वास्तव में ऐसा है, तो इसका जवाह है नहीं।