आज से संत कबीर को चढ़ेगी श्रद्धा की खिचड़ी

संत कबीर नगर
मगहर। मकर संक्रांति के पर्व पर सदगुरु कबीर की समाधि और मजार पर बाहर व क्षेत्र से आने वाले कबीर श्रद्धालुओं के जरिए रविवार व सोमवार को आस्था की खिचड़ी चढ़ाई जाएगी।
इसके लिए मजार व समाधि परिसर की साफ-सफाई की गई। श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो वालंटियर्स व सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस मुस्तैद रहेगी।

सनातन धर्म के अनुसार, जब सूर्य मकर रेखा पर पहुंचते हैं। तभी मकर संक्रांति पर्व मनाया जाता है। इसके बाद से सभी तरह के धार्मिक तथा वैवाहिक कार्यक्रमों का शुभारंभ हो जाता है। पूर्व मान्यता के अनुसार 14 जनवरी को मकर संक्रांति (खिचड़ी) का पर्व मनाया जाता है। उसी क्रम में रविवार व सोमवार को भोर से कबीर समाधि व मजार पर श्रद्धालु खिचड़ी चढ़ाने पहुंचेंगे। इस साल मकर संक्रांति का पर्व पूर्णरूप से सोमवार को है।

महंत विचार दास ने बताया कि खिचड़ी एक सात्विक भोजन होता है। खिचड़ी चढ़ाना एक भारतीय परंपरा है। आगे बताया कि जगन्नाथपुरी में कबीर साहेब, रविदास, रामानन्द तीनों महान संत मकर संक्रांति के अवसर पर संत समागम में शामिल हुए। जहां खिचड़ी खाने के लिए पंगत लगी हुई थी। कबीर को जुलाहा कहकर विरोध किया गया और पंगत से उठा दिया गया। इस पर वे दोनों संत भी कबीर साहेब के साथ उठ कर दूसरी तरफ बैठ गए। जिनके जाने के बाद लोगों को संत जनों के साथ पंगत में बैठे होने का आभास हुआ। यहीं लोगों को अपने कर्मों पर पश्चाताप हुआ और कबीर साहेब को वापस बुलाकर पंगत में बैठाकर भोजन कराया। यहीं से इन जगहों पर खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा पड़ गई। इसका उल्लेख कबीर सत्य प्रकाशन कबीर महा ग्रंथ में पाया जाता है।
उन्होंने लोगों से कबीर की वाणी को आत्मसात करके सुखमय जीवन व्यतीत करने का आह्वान किया। साथ ही लोगों में प्रेम, करुणा, दया का भाव मानव में जगे ऐसी अपेक्षा की है। आगे बताया कि मूलरूप से सोमवार को ही खिचड़ी चढ़ेगी। 14 व 15 जनवरी को बहादुरगढ़, झज्झर हरियाणा कबीर सेवा समिति के द्वारा अनवरत श्रद्धालुओं के भंडारे का आयोजन किया गया है।

इस दौरान डाॅ. हरिशरण शास्त्री, संत केशव दास, डाॅ. राकेश सिंह, संत अरविंद शास्त्री, संत रामसरन दास, संत शांति दास, विनोद दास आदि मौजूद रहे।

कबीर मगहर महोत्सव के बहाने रोजी-रोटी की तलाश में दुकानदार
मगहर। मगहर महोत्सव की आस में आए दुकानदारों को अब परंपरागत मेले के सहारे रोजी-रोटी मिलने की आस बंधी है। लेकिन पूर्व से लग रहे परंपरागत खिचड़ी के मेले ने उनकी उम्मीदों को जगा रखा है। वे महोत्सव न होने से निराश तो हैं परंतु हताश नहीं हैं।
गौरतलब हो कि 1987 से लगातार प्रत्येक वर्ष कबीर की याद में 12 से 18 जनवरी तक मगहर महोत्सव का आयोजन होता रहा है। लेकिन इस बार महोत्सव को स्थगित कर इसे 28 जनवरी से तीन फरवरी तक करने का निर्णय प्रशासन ने लिया है। महोत्सव के नाम पर विभिन्न प्रान्तों व शहरों से आए दुकानदार महोत्सव के आयोजन से निराश दिखे लेकिन उन्हें कबीर चौरा परिसर में लग रहे खिचड़ी के मेले से काफी उम्मीदें हैं। झूला लगाने वाले अख्तर, अकबाल उर्फ बाले भाई, राकेश शुक्ला, खजले की दुकान लगाने वाले महिपाल सिंह, भूपेश कुमार, हरिश्चंद्र, बिसाते की दुकान लगाने वाले बिहार प्रान्त के मजहर, बहराइच निवासी इस्माइल, सुभानल्लाह आदि का कहना है कि यह सूफी संत की धरती है। यहां से कोई निराश नहीं लौटता। ऐसे में उन्हें उम्मीद ही नहीं पूरा विश्वास है कि उनकी रोटी का इंतजाम जरूर हो जाएगा।

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