कबीर की पुण्य भूमि है मगहर -रामनाथ कोविंद
संतकबीर नगर भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को कहा है कि कबीर दास जी ने पहले समाज को जगाया फिर चेताया है उनके जीवन से हम लोगों को प्रेरणा लेकर कार्य करना चाहिए भारत अपने हजारो वर्ष के अटूट विरासत को लेकर अपने पांव पर मजबूती से खड़ा है।
आज कबीर चौरा पर महामहिम रामनाथ कोविंद ने कई परियोजनाओं कबीर अकादमी और शोध संस्थान सहित 49 करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण करने के बाद बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित करते हुए उन्होने कहा कि ऐसा मानना है कि संतो के आगमन से धरती पवित्र हो जाती है इसका प्रमाण मगहर की धरती है यहां लगभग 3 वर्ष तक संत कबीर दास रहे उनके आगमन से यह भूमि पूरी तरह से खिल उठी। यहां पर जल का अभाव था लेकिन संत कबीर दास के निवेदन पर एक नार्थ पीठ के संत यहां आए और उनकी प्रभाव से यहाँ का तालाब जल से भर गया और गोरख तलैया से आमी नदी के धारा में परले मान हो गया। मानव जीवन को सुधारने के लिए कबीरदास मगहर आए थे वह सच्चे भक्त थे और लोगों की पीड़ा को समझते थे और लोगों के लिए उपाय भी करते थे।
उन्होंने कहा कि कबीर एक गरीब परिवार में पैदा हुए लेकिन उन्होंने कभी गरीबी को अपनी कमजोरी नहीं समझा बल्कि उसे अपना ताकत बनाया वह कपड़ा बुनने का काम करते थे।उनके जीवन से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। उस समय विभाजित समाज मे समरसता लाने के लिए प्रयास किया और समरस परिवार का चादर बुना और वे उस चादर को कभी मैला नही होने दिया।
राष्ट्रपति ने कहा की संत कबीर की पुण्य भूमि मगहर में आकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है और संत कबीर के अनुयायियों का उत्साह, लगन तथा समर्थन देखकर मुझे गौरव की अनुभूति हो रही है।'' विश्व पर्यावरण दिवस पर कबीर की समाधि के पास पौधरोपण करने का जिक्र करते हुए कोविंद ने कहा कि आज विश्व पर्यावरण दिवस है। कबीर की समाधि और मजार पर श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद मैंने समाधि के निकट एक पौधा भी लगाया। मुझे याद है कि कुछ वर्ष पहले बोधगया से मैंने एक बोधि वृक्ष मंगवाया था, आज देखता हूं कि वह पौधा बड़ा हो गया है। आज लगाए गए ये सभी पौधे बड़े होकर कबीर की समाधि पर आने वालों को शीतलता प्रदान करेंगे।संत कबीर ने समाज को समानता और समरसता का मार्ग दिखाया तथा कुरीतियों, आडंबरों और भेदभाव को दूर करने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने कहा कि माना जाता है कि संतों के आगमन से धरती पवित्र होती है। इसका जीवंत उदाहरण मगहर है। संत कबीर के यहां आने से पहले मगहर की धरती ऊसर, बंजर और अभिशप्त थी। उनके आगमन से धरती खिल उठी। संत कबीर मगहर में तीन वर्ष तक रहे। इस दौरान गोरक्ष पीठ से सिद्ध संत भी उनके बुलावे पर मगहर आए और यहां के पानी की समस्या को दूर करते हुए गोरख तलैया से सूखी पड़ी आमी को जीवंत किया। राष्ट्रपति ने कहा कि संत कबीर का पूरा जीवन मानव श्रेष्ठता का उदाहरण है। उन्होंने संदेश दिया कि असहाय की सहायता किए बिना समाज में समरसता नहीं आ सकती। महामहिम ने कबीर का दोहा ' कबीर सोई पीर है, जो जाने पर पीर ' पढ़कर लोगों का दु:ख दर्द समझने वाला बताया। उन्होंने कहा कबीर गरीब, वंचित परिवार में पैदा हुए, लेकिन उसे अपनी कमजोरी नहीं ताकत बनाया।राष्ट्रपति के साथ मगहर में देश की प्रथम महिला नागरिक श्रीमती सविता कोविंद, प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहें।