फेसबुक दुनिया का सबसे बड़ा स्टार्टअप, जिसने अपने हर राइवल को खरीद लिया, 94 कंपनियों का मालिक
फेसबुक… एक ऐसी कंपनी जिसको इतिहास के सबसे बड़े स्टार्टअप में से एक माना जाता है और जिस कंपनी का सीईओ 23 साल की उम्र से ही अरबपतियों की सूची में शामिल है। फेसबुक जितनी कामयाब है, उतनी ही विवादित भी। फेसबुक के बारे में मशहूर है, वो सिलिकॉन वैली की ऐसी शार्क है जो अपने राइवल्स को निगल जाती है। आंकड़े इसका सबूत हैं। फेसबुक ने अब तक 94 कंपनियों का अधिग्रहण किया है। जिसमें वॉट्सअप और इंस्टाग्राम जैसे नाम शामिल हैं। यूजर्स के मामले में देखें तो फेसबुक दूसरी सबसे प्रभावशाली कंपनी ट्विटर से दस गुना आगे है। वहीं सालाना कमाई के मामले में वह उससे कई गुना आगे है। 2021 में फेसबुक ने जहां 9.32 लाख करोड़ रुपए, वहीं ट्विटर ने 40 हजार करोड़ रुपए कमाए। आज मेगा एम्पायर में जानिए उस फेसबुक के बारे में जिसका कॉर्पोरेट नाम अब मेटा हो गया है :
लॉन्च हुआ तो विवाद पर आज 300 करोड़ से ज्यादा यूजर
साल था 2004, जब हावर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले मार्क जुकरबर्ग ने अपने कुछ दोस्तों के साथ फेसबुक बनाया। जिस समय इसे लॉन्च किया गया था तब इसका नाम 'द फेसबुक' था। शुरुआती कुछ सालों में फेसबुक सिर्फ हार्वड यूनिवर्सिटी के छात्रों के लिए ही उपलब्ध था। मगर फेसबुक की बढ़ती पॉपुलैरिटी को देखते हुए जुकरबर्ग ने 2006 में फेसबुक को आम लोगों के लिए शुरू कर दिया। लॉन्च होने के कुछ दिन के अंदर ही फेसबुक विवादों में आ गया था। तीन हार्वड स्टूडेंट्स ने जुकरबर्ग पर आरोप लगाया था कि उन्होंने फेसबुक का आइडिया चोरी किया है। इस मामले की कानूनी कार्यवाही 4 साल तक चली और आखिरकार 2008 में दोनों पक्षों के बीच मामला सेटल हुआ। विवादों में रहते हुए भी फेसबुक कई लोगों के डेली रूटीन का हिस्सा बना हुआ है और मौजूदा वक्त में फेसबुक के 300 करोड़ से ज्यादा यूजर हैं।
मेगा एम्पायर:फेसबुक दुनिया का सबसे बड़ा स्टार्टअप, जिसने अपने हर राइवल को खरीद लिया, 94 कंपनियों का मालिक
7 घंटे पहलेलेखक: आतिश कुमार
फेसबुक… एक ऐसी कंपनी जिसको इतिहास के सबसे बड़े स्टार्टअप में से एक माना जाता है और जिस कंपनी का सीईओ 23 साल की उम्र से ही अरबपतियों की सूची में शामिल है। फेसबुक जितनी कामयाब है, उतनी ही विवादित भी। फेसबुक के बारे में मशहूर है, वो सिलिकॉन वैली की ऐसी शार्क है जो अपने राइवल्स को निगल जाती है। आंकड़े इसका सबूत हैं। फेसबुक ने अब तक 94 कंपनियों का अधिग्रहण किया है। जिसमें वॉट्सअप और इंस्टाग्राम जैसे नाम शामिल हैं। यूजर्स के मामले में देखें तो फेसबुक दूसरी सबसे प्रभावशाली कंपनी ट्विटर से दस गुना आगे है। वहीं सालाना कमाई के मामले में वह उससे कई गुना आगे है। 2021 में फेसबुक ने जहां 9.32 लाख करोड़ रुपए, वहीं ट्विटर ने 40 हजार करोड़ रुपए कमाए। आज मेगा एम्पायर में जानिए उस फेसबुक के बारे में जिसका कॉर्पोरेट नाम अब मेटा हो गया है :
लॉन्च हुआ तो विवाद पर आज 300 करोड़ से ज्यादा यूजर
साल था 2004, जब हावर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले मार्क जुकरबर्ग ने अपने कुछ दोस्तों के साथ फेसबुक बनाया। जिस समय इसे लॉन्च किया गया था तब इसका नाम 'द फेसबुक' था। शुरुआती कुछ सालों में फेसबुक सिर्फ हार्वड यूनिवर्सिटी के छात्रों के लिए ही उपलब्ध था। मगर फेसबुक की बढ़ती पॉपुलैरिटी को देखते हुए जुकरबर्ग ने 2006 में फेसबुक को आम लोगों के लिए शुरू कर दिया। लॉन्च होने के कुछ दिन के अंदर ही फेसबुक विवादों में आ गया था। तीन हार्वड स्टूडेंट्स ने जुकरबर्ग पर आरोप लगाया था कि उन्होंने फेसबुक का आइडिया चोरी किया है। इस मामले की कानूनी कार्यवाही 4 साल तक चली और आखिरकार 2008 में दोनों पक्षों के बीच मामला सेटल हुआ। विवादों में रहते हुए भी फेसबुक कई लोगों के डेली रूटीन का हिस्सा बना हुआ है और मौजूदा वक्त में फेसबुक के 300 करोड़ से ज्यादा यूजर हैं।
अपनी प्राइवेसी का सबसे ज्यादा ध्यान रखते हैं जुकरबर्ग
फेसबुक यूं तो यूजर्स की प्राइवेसी बनाए रखने का दावा करता है, लेकिन इसे सबसे बड़ा झूठ कहा जाता है। 2018 में फेसबुक को प्राइवेसी ब्रीच के कारण 4 करोड़ 73 लाख का हर्जाना भरना पड़ा था। लेकिन जब बात कंपनी के सीईओ मार्क जुकरबर्ग की आती है तो वह इस मामले में बेहद संवेदनशील हैं। 2013 में जुकरबर्ग ने अपनी प्राइवेसी बनाए रखने के लिए अपने पड़ोस के 4 घर खरीद लिए ताकि कोई बाहरी व्यक्ति उनके आस-पास न फटक सके। इस डील में जुकरबर्ग ने 30 मिलियन डॉलर यानी लगभग 237 करोड़ रु. से भी ज्यादा पैसे खर्च किए थे।
पिता की किताब से बढ़ा क्रेज, पहले बनाया था फेसमैश
जुकरबर्ग के अंदर प्रोग्रामिंग का क्रेज तब बढ़ा जब बचपन में उनके पिता ने C++ की एक किताब दी थी। जिसके बाद से वह अक्सर अपना टाइम कंप्यूटर में प्रोग्रामिंग करते हुए बिताया करते थे। वैसे फेसबुक शुरू करने से पहले मार्क जुकरबर्ग ने फेसमैश नाम से एक साइट बनाई थी। साइट में यूजर्स को दो तस्वीरें कम्पेयर करने का फीचर दिया गया था। जिस साइट में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के कई लड़के और लड़कियों की तस्वीर थी। हालांकि फेसमैश के शुरू होते ही काफी विवाद हो गया था। क्योंकि बिना लोगों की इजाजत के जुकरबर्ग ने फेसमैश पर तस्वीरें पोस्ट कर दी थी। हालांकि, कहा जाता है कि फेसमैश ने ही मार्क जुकरबर्ग को फेसबुक बनाने का रास्ता दिखाया था।
कलर ब्लू के पीछे की वजह जुकरबर्ग की कलर ब्लाइंडनेस
फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग रेड-ग्रीन कलर ब्लाइंड हैं, इसका मतलब यह है कि वह ब्लू कलर को ही सबसे अच्छी तरह से देख सकते हैं। यही कारण भी है कि जुकरबर्ग ने फेसबुक को ब्लू कलर दिया है। जुकरबर्ग एक बार कह भी चुके हैं कि ब्लू मेरे लिए सबसे रिच कलर है और मैं सब कुछ नीला देख सकता हूं।
फेसबुक दे चुका हैं ट्विटर के पूर्व सीईओ को मात
2012 में फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने इंस्टाग्राम को खरीद लिया था। मगर दिलचस्प बात यह है कि इंस्टाग्राम को खरीदने में ट्विटर के तब के सीईओ जैक र्डोसे भी काफी इच्छुक थे, मगर इंस्टाग्राम की डील जुकरबर्ग के ही हाथ लगी थी और उन्होंने 1 बिलियन डॉलर्स यानी लगभग 7 हजार 904 करोड़ में इसे खरीद लिया था। इंस्टाग्राम को खरीदने में असफल होने के बाद जैक र्डोसे काफी निराश भी हुए थे। वैसे जिस इंस्टाग्राम को कभी जुकरबर्ग ने 1 बिलियन डॉलर में खरीदा था आज वही ऐप उनकी कंपनी के नेट रेवेन्यू में 44% का योगदान दे रही है।